पीएम मोदी के आगे नतमस्तक हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन, पहले मिलाया हाथ, अब किया “सेल्यूट”, जानें 3 बड़े कारण

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए इंडोनेशिया के बाली की दो दिवसीय दौरे पर थे। इस दौरान बुधवार को वह मैंग्रोव वन की यात्रा पर गए, तभी उनकी मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से हो गई। इस दौरान बाइडेन पीएम मोदी को सेल्यूट करते नजर आए। इससे एक दिन पहले यानी सम्मेलन के पहले दिन वह खुद पीएम मोदी के पास चलकर आए थे और उनसे गर्मजोशी से हाथ मिलाया था। इसका एक वीडियो भी सामने आया था।
पीएम मोदी ने इससे जुड़ी कई तस्वीरें अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर शेयर की हैं। एक दौरान दुनिया भर के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन पर कड़ा संदेश देने के लिए मैंग्रोव के पौधे लगाए। एक तस्वीर में पीएम मोदी अन्य विश्व नेताओं के साथ बगीचे में कुदाल लेकर खड़े दिखाई दे रहे हैं। एक अन्य तस्वीर में पीएम नरेंद्र मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ बातचीत करते नजर आ रहे हैं। बाइडेन मैंग्रोव वन में पीएम मोदी के साथ चलते नजर आ रहे हैं।

पीएम मोदी और बाइडेन ऐसे वक्त पर गर्मजोशी से बात कर रहे हैं, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। साथ ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने इस सम्मेलन से दूरी बनाई है। भारत लगातार रूस और यूक्रेन से बातचीत के जरिए शांति कायम करने को कह रहा है। भारत युद्ध की शुरुआत से ही संघर्ष विराम करने को बोल रहा है और राजनयिक समाधान पर जोर दे रहा है। पश्चिमी देशों ने रूस पर तमाम प्रतिबंध लगा दिए हैं लेकिन भारत अब भी रूस से तेल खरीद रहा है। इस बीच सभी के जहन में ये सवाल जरूर उठ रहा है कि भला अमेरिका की तरफ से भारत को इतना मक्खन क्यों लगाया जा रहा है। ऐसी क्या मजबूरी है।

इन 3 वजहों से अमेरिका के लिए भारत जरूरी-

पहला कारण- अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग अपने एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए पेश किया है। उसका कहना है कि भारतीय नौसेना की डेक-आधारित जेट की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ये सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म है। बोइंग का कहना है कि अगर एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट ब्लॉक III का चयन किया जाता है, तो कंपनी का मानना है कि इससे आने वाले 10 साल में भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग पर 3.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक प्रभाव पड़ेगा। ये डील शायद अगले साल तक हो सकती है।

दूसरा कारण- भारत को जी20 की अध्यक्षता मिल गई है। ये अध्यक्षता 1 दिसंबर, 2022 से लागू हो जाएगी। जी20 दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का संगठन है। इसका आयोजन अगले साल 9 से 10 दिसंबर को भारत में होगा।

तीसरा कारण- रूस भारत का अच्छा दोस्त है और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पीएम मोदी के अच्छे मित्र। पश्चिमी देशों के लाख कहने के बावजूद भी रूस ने यूक्रेन पर हमले करना बंद नहीं किया है। तो ऐसे में पीएम मोदी पुतिन से इस मामले पर बात करें, या उनके जरिए पुतिन पर जंग को खत्म करने का दबाव डाला जा सके।

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