हेल्थफल, सब्जियों से हमारे शरीर में घुस चुका है घातक लेड

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1, सिर्फ 2 कली लहसुन खाकर दूर करें 100 परेशानियां
फल, सब्जियों से हमारे शरीर में घुस चुका है घातक लेड, सिर्फ 2 कली लहसुन खाकर दूर करें 100 परेशानियां
लहसुन के तमाम फायदे हैं, अगर आप इसे रोज की डाइट में शामिल कर लें तो आपको तमाम फायदे होंगे। लहसुन का सबसे ज्यादा फायदा हमें तब मिलता है जब हम इसे कुचलकर खाते हैं।
लहसुन कुचलकर खाने से होते हैं ज्यादा फायदेलहसुन को कुचलने के बाद ही इसके एक्टिव कंपाउंड तैयार होते हैंलहसुन को रोस्ट करके खाने से फायदे कम होते हैं
खेतों में उगाई जाने वाली हरी सब्जियों में कई तरह के कीटनाशक होते हैं जो हमारे शरीर में जाते हैं और हमें नुकसान पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं मैगी और नूडल्स में भी स्वाद बढ़ाने के लिए लेड मिलाया जाता है, लेकिन हमारे शरीर पर इसका बहुत बुरा असर होता है। खेतों में उगाई जाने वाली सब्जियों में लेड की मात्रा पाई जाती है और जब इसमें रसायनिक खाद मिलाई जाती है तो लेड में मोनोसाडियम, क्रोरियम और पारा का मिश्रण हो जाता है और जब वो सब्जियां हमारे पेट में जाती हैं तो हमें कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं, अब सवाल ये है कि इस लेड को हम शरीर से कैसे निकालें? इस बारे में जब हमने साइंटिस्ट और हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट दीपक आचार्य से बात की तो उन्होंने हमें एक रिसर्च के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया- बैटरी बनाने वाली ईरान की एक फैक्ट्री के उन 117 कर्मचारियों पर एक महीने तक एक क्लीनिकल स्टडी की गयी जिनके शरीर में खूब हैवी मेटल्स पाए जाने की पुष्टि हो चुकी थी। ध्यान रहे इस तरह की फैक्टरी में काम करने वाले कर्मचारियों के शरीर में सीसा (Lead) पाए जाने की शिकायतें काफी होती हैं। सीसा एक हैवी मेटल है और शरीर में इसकी अधिकता होने से कई खतरनाक हेल्थ प्रॉबलम्स आती हैं। हैवी मेटल्स की वजह से हमारे बॉडी ऑर्गन्स भी खराब हो सकते हैं।
स्टडी कुछ ऐसी हुई कि उन 117 कर्मचारियों के दो ग्रुप बनाए गए और दोनों में से एक ग्रुप के लोगों को एक महीने तक लगातार दिन में तीन बार लहसुन की तय मात्रा दी गयी और दूसरे ग्रुप के लोगों को डी-पेनिसिलीयमाइन (सीसे के जहरीले असर को कम करने की मेडिसिन) की तय मात्रा दिन में तीन बार दी गयी। हैरानी की बात ये है कि डी-पेनिसिलीयमाइन की तुलना में लहसुन ज्यादा असरकारक रहा। लहसुन की वजह से हैवी मेटल्स का स्तर 19% तक कम हो गया और वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। ये क्लिनिकल रैंडमाइज़ ट्रायल रिपोर्ट 2012 में बेसिक एन्ड क्लीनिकल फार्माकोलॉजी एन्ड टॉक्सिकोलॉजी जर्नल में छपी थी। इस स्टडी को बताने का मायना कुछ यूं है कि हम भी आए दिन हैवी मेटल्स के चक्कर में आ ही रहे हैं। सब्जियों, फलों से लेकर आसपास के प्रदूषण तक, हैवी मेटल्स हमारे शरीर में घुस तो रहे ही हैं। शरीर को हैवी मेटल्स से डिटॉक्स करने के हमें कहीं दूर भटकने की जरूरत नहीं है बल्कि लहसुन ही काफी कारगर है।

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