पाकिस्तानी होने की बात छिपाकर बनवाया पहचान पत्र और आधार कार्ड

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पाकिस्तानी होने की बात छिपाकर बनवाया पहचान पत्र और आधार कार्ड
कानपुर के किदवई नगर के ही रहने वाले आलोक कुमार ने पुलिस को दिए शिकायती पत्र में बताया कि साल 1990 में पाकिस्तान से आलम चन्द्र इसरानी अपने परिवार के साथ भारत में टर्म वीजा पर आया। इसके बाद वह 271 एमआई बर्रा-2 इलाके के एक मकान में रहने लगा। उसके पास सीमित अवधि का वीजा था, जिसे वह आगे भी बढ़वाता रहा।
आरोप है कि इस दौरान उसने अपनी पाकिस्तान की नागरिकता छिपा ली और धोखाधड़ी करते हुए पहले अपना और फिर बाद में परिवार के सभी सदस्यों का भारतीय पहचान पत्र बनवा दिया। इसके बाद साल 2013 में भारत की नागरिकता हासिल कर ली। इसके बाद सरकार की कई योजनाओं का लाभ लेते हुए उसने घर, दुकान-मकान और कई प्रॉपर्टी खरीद डालीं। अब पुलिस ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने जूही पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। जूही पुलिस ने शुक्रवार रात को मामले में आलम चंद्र इसरानी, मुकेश चंद्र इसरानी, चंद्र लाल इसरानी और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, जान से मारने की धमकी देने और विदेशियों विषयक अधिनियम 1946 के तहत एफआईआर दर्ज करके मामले की जांच शुरू कर दी है।एयरफोर्स और शिक्षा विभाग में बेटे कर रहे नौकरी इतना ही नहीं शातिर आलम चंद्र इसरानी ने पाकिस्तानी नागरिक होने का बात छिपाकर एक बेटे सुनील कुमार इसरानी की एयरफोर्स में नौकरी लगवा दी। जबकि दूसरा बेटा प्रताप चंद्र इसरानी को शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई। एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही इन सभी बिंदुओं पर जांच की मांग की है। आरोप है कि सिर्फ नागरिकता ही हासिल नहीं की है। बल्कि सैन्य सेवा जैसी संवेदनशील जगह पाकिस्तानी होने के बाद भी तथ्य छिपाकर बेटे को नौकरी करवाई। PM और CM ऑफिस में नहीं हुई सुनवाई तो कोर्ट से FIR
शिकायतकर्ता ने पाकिस्तानी नागरिक के खिलाफ कानपुर जिला प्रशासन और पुलिस को ही नहीं राष्ट्रपति, पीएमओ और मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर एक दर्जन से अधिक विभागों में लिखित शिकायत की थी। सभी ने जांच का हवाला देकर मामले को दबा दिया या फिर संज्ञान ही नहीं लिया। इसके बाद उसने कोर्ट में एफआईआर दर्ज कराने के लिए याचिका दाखिल की थी। मामले को कोर्ट ने संज्ञान में लिया और पुलिस को जांच करने के आदेश दिए। शुरूआती जांच में पुलिस ने सभी आरोपों को सही पाया। इसके बाद पुलिस की जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

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