कोविड के दो साल: कई परिवारों को खत्म कर गया कोरोना, दिल्ली के पहले मरीज ने कहा- जो मुझे देखता वो शत्रु समझता

186
Share

नई दिल्ली. ‘आज सात मार्च है, मेरे पापा का बर्थडे है। हर साल पापा और दादाजी के साथ मिलकर हम घूमने जाते थे। पूरे दिन मस्ती करते थे। पिछली बार तो हमने साथ में बर्थडे मनाया था। उससे पहले जब कोरोना की वजह से हमारे स्कूल बंद हुए थे। तब भी पापा आपने हमारे लिए खाना बनाया। दादाजी के साथ मिलकर केक भी काटा था। आप जानते हैं पापा हमें केक कितना अच्छा लगता है? मगर अब घर में कोई नहीं है। आप जब से गए हैं तब से हमें केक खाने को नहीं मिला।

पापा, आज आपका बर्थडे है, देखो, दादी याद कर रही हैं। मम्मी सुबह से कुछ नहीं बोल रही हैं। मैं और प्रथम भईया हम दोनों कमरे में बैठे आपकी राह देख रहे हैं। मैं आपका प्यारा हर्षित हूं ना पापा, प्लीज हमारे पास आ जाओ। हम फिर से मस्ती करना चाहते हैं। अपने साथ दादाजी को भी लेकर जरूर आना। हमारे साथ कोई खेलना वाला नहीं है। दादा जी की बहुत याद आती है, पापा। दिन भर दादी ही भागदौड़ करती हैं। रात को उनके घुटने भी बहुत दर्द करते हैं, मैं और भईया दोनों उनके घुटने दबाते हैं ताकि दादी को नींद आ सके। दादी को हमारी बहुत चिंता है पापा, वो अकेले में रोती हैं लेकिन हमको देखते ही कहती हैं, चिंता न करो, सब ठीक होगा।

पापा पिछले साल दादा को कोरोना हुआ तो आपने कहा था सब ठीक होगा लेकिन पांच दिन में आप दोनों घर से निकले और फिर कभी वापस नहीं आए। पापा आप कब आओगे? ये पुकार दिल्ली के दयालपुर निवासी सात वर्षीय हर्षित की है जिसके पिता दीपक कुमार और दादाजी की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हुई। पिछले वर्ष 26 अप्रैल को दादाजी और दो मई को दीपक कुमार की मौत हुई। इनके बाद परिवार में अब दादी, दो बच्चे और उनकी मां ही बची हैं।

सोमवार को दिल्ली में कोरोना महामारी के दो वर्ष पूरे होने पर जब दीपक कुमार के परिजनों से संपर्क किया गया। इस बीच हर्षित अपने पिता के बारे में ही पूछने लगा। हर्षित की बुआ और दीपक कुमार की बहन रामा बताती हैं कि कोरोना कभी आता है तो कभी चला जाता है लेकिन इसका असर हमारे जीवन में अंधेरा कर गया है। हर दिन-रात भाई और पिता की याद तो आती है साथ ही उन दोनों बच्चों को देख किस्मत पर भी रोना आता है कि आज उनके बच्चों की परवरिश तक मुश्किल हालातों में हैं।

दीपक कुमार की तरह राजधानी में ऐसे सैंकड़ों परिवार हैं जो कोरोना महामारी का दंश झेलते आ रहे हैं। इनमें अधिकांश परिवार साल 2021 में आई कोरोना लहर के दौरान चपेट में आए। वहीं कई परिवार ऐसे भी हैं जिनके घरों में मौतें हुई लेकिन उन्हें सरकार ने कोविड में नहीं गिना। लक्ष्मी नगर निवासी शांति देवी के पति, ससुर और सास तीनों की मौत 11 दिन के भीतर मैक्स पटपड़गंज अस्पताल में हुई लेकिन इनमें से केवल ससुर की मौत को ही संक्रमण से जोड़कर माना गया। शांति बताती हैं कि वे अब आस-पड़ोस के बच्चों को कोचिंग देकर अपना और अपने बच्चे का पालन कर रही हैं।
मैं हूं पहला मरीज, लोगों की सोच से लड़ा
मैं रोहित दत्ता मयूर विहार फेज दो का निवासी हूं। मैं दिल्ली का पहला कोरोना मरीज हूं। दो मार्च 2020 को मेरी जांच रिपोर्ट कोरोना संक्रमित आई थी। उस दौरान मुझे लेकर काफी पैनिक हुआ था। मैं खुद परेशान हो गया था लेकिन खुद को तसल्ली देते हुए परिवार का मनोबल बढ़ाया और सफदरजंग अस्पताल में इलाज कराने के बाद वे ठीक हो गया। उस वक्त मैं परेशान था लेकिन मेरे लिए वह हर पल एक लड़ाई जैसा था। मैं लोगों की सोच से लड़ रहा था क्योंकि उस समय जो भी मुझे देखता उसे मैं किसी शत्रु से कम नहीं लगता था। उन्हें लगता कि मैं विदेश से कोरोना लेकर आ गया हूं। मेरे दोस्त अभी तक मेरा मजाक बनाते हैं। 25 फरवरी 2020 को इटली से लौटने के बाद बुखार आया तो 29 फरवरी को जांच कराई थी जिसकी रिपोर्ट एक मार्च को आई लेकिन सरकार ने इसकी घोषणा दो मार्च को की। भले ही मैं दो सप्ताह में ठीक हो गया लेकिन इस बीमारी को लेकर लोगों में दहशत थी जिसका असर मैंने पिछले साल भी देखा जब कई लोग सदमे में आकर चले गए।

पांच लहर वाली दिल्ली में 26 हजार की मौत
दिल्ली में दो मार्च 2020 से अब तक कोरोना महामारी की पांच बार लहर आई है। साल 2020 में तीन, 2021 में एक और हाल ही में ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से पांचवीं लहर का सामना करना पड़ा। अब तक दिल्ली में 18.61 लाख लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं जिनमें से 18.34 लाख लोग ठीक भी हुए लेकिन 26134 मरीजों की मौत हुई। हालांकि गैर सरकारी आंकड़ा इससे भी अधिक बताया जा रहा है।

केवल टीकाकरण ही बना सबसे बड़ा हथियार
कोरोना महामारी को रोकने में अभी तक दिल्ली वालों के लिए केवल टीकाकरण ही सबसे बड़ा हथियार बना है। वैक्सीन की दोनों खुराक लेने से दिल्ली के ज्यादातर लोगों में ओमिक्रॉन का असर हल्का रहा। साल 2021 में एक बड़ी त्रासदी का सामना कर चुके दिल्ली वाले अभी भी वायरस के हर नए म्यूटेशन को लेकर घबराने लगते हैं। अब तक राजधानी में 1.38 लाख लोग दोनों खुराक लेकर टीकाकरण पूरा कर चुके हैं। वहीं सात लाख किशोर भी टीकाकरण करवा चुके हैं।

LEAVE A REPLY