कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। इसके डेल्टा वैरिएंट से घातक न होने और वैक्सीन लगवा चुके लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक न होने की खबरों के बीच अब इसके लिए भी वैक्सीन विकसित करने की कोशिश हो रही हैं। देश के कई राज्यों में ओमिक्रॉन के मरीज़ मिलने के बाद इससे लड़ने के लिए प्रभावी टीके को लेकर पहल शुरू हो गई है।
वायरस से लड़ने के लिए टीका बनाने वाली कंपनियां मौजूदा टीके को अधिक प्रभावी बनाने की वकालत कर रही हैं। कंपनियों का कहना है कि मौजूदा टीकों को अधिक प्रभावशाली बनाना होगा ताकि नए वैरिएंट से लोगों को बचाया जा सके।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का कहना है कि कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बारे में कुछ भी टिप्पणी करना फिलहाल जल्दबाजी होगी। ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक इस मामले में लगातार शोध कर रहे हैं और उनके निष्कर्षों के आधार पर हम एक नया टीका तैयार करेंगे, जो छह महीने के समय में बूस्टर खुराक का काम करेगा। यदि सरकार बूस्टर खुराक की अनुमति देती है तो एसआईआई इसके लिए तैयार है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए करीब 20 करोड़ खुराक उपलब्ध हैं।
इधर, अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडिला ओमीक्रॉन सीक्वेंस का उपयोग करते हुए अपने डीएनए टीके का एक नया संस्करण विकसित करने में जुटी हुई है। जायडस कैडिला के प्रबंधन का कहना है कि अभी नए वैरिएंट के मामलों के पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इस नए वैरिएंट से निपटने के लिए हमें एक नए टीके की जरूरत है। हालांकि हम अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं। जब तक यह स्ट्रेन गंभीर या घातक नहीं होता, तब तक हमें कोई नया टीका तैयार करने की खास जरूरत नहीं है।
कोरोना का टीका बनाने वाली हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने फिलहाल अपनी योजनाओं का खुलासा नहीं किया हैं। लेकिन कंपनी भी कोरोना के नए वैरिएंट्स पर लगातार शोध कर रही है। कंपनी का कहना है कि कोरोना वैक्सीन को मूल रूप से वुहान से निकले वैरिएंट के खिलाफ विकसित किया गया था और अब पाया गया है कि यह डेल्टा वैरिएंट सहित अन्य वैरिएंट्स के खिलाफ भी प्रभावी है। कंपनी नए वैरिएंट पर भी लगातार शोध कर रही