फिल्म समीक्षा: मोतीचूर चकनाचूर

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फिल्म मोतीचूर चकनाचूर का ट्रेलर काफी मजेदार था लेकिन जब पूरी पिक्चर सामने आई तो सब कुछ धरा का धरा रह गया।
कहते हैं शादी का लड्डू जो खाए वो पछताए और जो न खाए वो भी पछताए. अब शादी से जुड़ी फिल्म श्मोतीचूर चकनाचूरश् लेकर बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी हाजिर हो चुके हैं. वेब सीरीज सैक्रेड गेम्स में गणेश गायतोंडे जैसे खतरनाक किरदार के बाद नवाजुद्दीन ने कॉमेडी फिल्म के जरिए लोगों को हंसाने की कोशिश तो की लेकिन नवाजुद्दीन इस कोशिश में फेल होते दिखाई दिए. फिल्म का ट्रेलर काफी मजेदार था लेकिन जब पूरी पिक्चर सामने आई तो सब कुछ धरा का धरा रह गया. फिल्म में दो परिवार ही शुरू से आखिर तक बने रहते हैं और शादी का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा होता है. दो घरों के बीच की कहानी काफी बोर कर देती है।
मोतीचूर चकनाचूर फिल्म का टाइटल ही काफी हद तक फिल्म के बारे में बता देता है. फिल्म पुष्पिंदर (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) और ऐनी उर्फ अनिता (अथिया शेट्टी) की शादी पर आधारित है. फिल्म में ऐनी एक ऐसा किरदार है जो शादी के लिए कई लड़के देख चुकी है. ऐनी इसलिए शादी करना चाहती है कि शादी के बाद वो विदेश जा सके और वहां पर फोटो क्लिक कराकर अपनी दोस्तों को दिखा सके और इंटरनेट पर शेयर कर सके. इसलिए ऐनी विदेश में काम कर रहे लड़के से ही शादी करना चाहती है. इसी चक्कर में ऐनी कई लड़कों को रिजेक्ट भी कर चुकी है।
वहीं पुष्पिंदर 36 साल का एक कुंवारा लड़का है, जो दुबई से लौटता है और किसी भी कीमत पर बस शादी करना चाहता है. लेकिन पुष्पिंदर को कोई लड़की नहीं मिल पाती. हालांकि जब ऐनी को पता चलता है कि पुष्पिंदर दुबई से लौटा है तो ऐनी पुष्पिंदर को अपने प्यार के जाल में इसलिए फंसाती है कि वो उसके साथ दुबई जा सके. इसके बाद ऐनी पुष्पिंदर से शादी कर लेती है. भोला-भाला इंसान पुष्पिंदर ये नहीं जान पाता कि ऐनी को उससे प्यार नहीं है और वो बस दुबई जाने की खातिर उससे शादी कर रही है. लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब सबको पता चलता है कि पुष्पिंदर को दुबई की नौकरी से निकाल दिया गया है. इसके बाद कहानी क्या करवट लेती है, क्या ऐनी दुबई जा पाती है नहीं? दोनों की शादी टिक पाती है या नहीं? इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
मोतीचूर चकनाचूर एक कॉमेडी फिल्म है लेकिन कॉमेडी के नाम पर इस फिल्म में घिसे-पिटे जोक्स के अलावा और कुछ भी नहीं है. फिल्म भोपाल में शूट की गई है और इसमें देहाती भाषा फिल्म के शुरू से लेकर अंत तक सुनी जा सकती है. फिल्म के डायलॉग दमदार नहीं हैं. फिल्म और फिल्म के डायलॉग आपके अरमानों को चकनाचूर कर सकते हैं. डायलॉग और सीन कई बार जबरदस्ती हंसाने की कोशिश करते हैं लेकिन वो काम नहीं आते।
फिल्म में नवाजुद्दीन की एक्टिंग अपने किरदार के साथ न्याय करती है. नवाजुद्दीन का किरदार देखकर आप अच्छे से उस इंसान की फीलिंग को समझ सकते हैं, जो 36 साल का हो चुका है लेकिन अभी तक दुल्हन की तलाश में है. फिल्म में अथिया शेट्टी और बाकी किरदारों की एक्टिंग औसत है. कई सीन में ऐसा लगेगा कि एक्टिंग कम और ओवर एक्टिंग ज्यादा है।
अगर आप नवाजुद्दीन सिद्दीकी के फैन हैं तो इस फिल्म को देखने की कोशिश कर सकते हैं. बशर्ते आपको सैक्रेड गेम्स वाले गणेश गायतोंडे वाली छवि को अपने दिमाग से बाहर रखना होगा. फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अलावा कोई बड़ा नाम नहीं है।

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