भ्रष्टाचार तथा कार्य में शिथिलता पर मुख्यमंत्री योगी की बड़ी कार्रवाई, सात पीपीएस अफसर को वीआरएस

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एजेंसीं न्यूज
लखनऊ। भ्रष्टाचार तथा कार्य में शिथिलता पर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बेहद सख्त है। हर विभाग में सुस्त तथा भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इसी क्रम में सात पीपीएस अफसरों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। इनको अनिवार्य सेवानिवृति प्रदान की गई है। शासन ने सात पुलिस उपाधीक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्त दी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए गुरुवार को प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीजीपी ओपी सिंह ने बड़ा एक्शन लेते हुए सात पीपीएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त दे दी है। वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड-2, भाग-2 से 4 तक में दिए गए अद्यावधिक संशोधित फण्डामेंटल रूल, 56 के खण्ड (सी) के अधिकारों के अन्तर्गत सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रान्तीय सेवा संवर्ग के 7 पुलिस अधीक्षकों व सहायक सेनानायकों (जिनकी उम्र 31-03-2019 को 50 वर्ष अथवा इससे अधिक थी) को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने की स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर शासन ने फैसला लेते हुए उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्त प्रदान की है।
प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के साथ ही काम में लापरवाही पर बेहद सख्त हो रही है। इसी क्रम में गुरुवार की इस कार्रवाई को बेहद अहम माना जा रहा है। सरकार ने सात पीपीएस अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृति प्रदान की है। इनको सेवा से ही खारिज कर दिया गया है। इनके खिलाफ जांच में गंभीर मामले सामने आए हैं। इन अफसरों की उम्र 50 व इससे अधिक थी। सरकार ने स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर निर्णय लेते हुए इन अफसरों को सेवानिवृत्ति दे दी।
पीपीएस अधिकारियों में 15वीं वाहिनी पीएसी आगरा के सहायक सेनानायक अरुण कुमार, अयोध्या के पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार राना, आगरा के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह राना, 33वीं वाहिनी पीएसी झांसी के सहायक सेनानायक रतन कुमार यादव, 27वीं वाहिनी पीएसी सीतापुर के सहायक सेनानायक तेजवीर सिंह यादव, मुरादाबाद के मण्डलाधिकारी संतोष कुमार सिंह, 30वीं वाहिनी पीएसी गोण्डा के सहायक सेनानायक तनवीर अहमद खां को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की गई है। इन सभी की आयु 50 वर्ष से अधिक है और इनके ऊपर कार्य में शिथिलता तथा अन्य कई आरोप लगे हैं। सरकार ने स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर निर्णय लेते हुए इन अफसरों को सेवानिवृत्ति दे दी।

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