देहरादून। एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं का आंदोलन आखिरकार रंग लाया है। कॉलेज प्रबंधन व छात्रों के बीच सहमति बन गई है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार मेहता व प्रबंध समिति के पदाधिकारियों की मौजूदगी में छात्रों ने धरना समाप्त कर दिया है। पिछले एक सप्ताह से छात्र फीस बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे।
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन व छात्रों के बीच इस बात पर भी सहमति बनी कि वर्ष 2016-17 और 2017-18 के एमबीबीएस व पीजी कार्स की ट्यूशन फीस हाईकोर्ट या एपिलेट कमेटी के दिशा-निर्देशों तक पूर्ववत रहेगी। बता दें कि राज्य सरकार ने उत्तराखंड अनानुदानित निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं (प्रवेश तथा शुल्क निर्धारण विनियम) अधिनियम, 2006 में संशोधन किया है। इस संबंध में गैरसैंण विधानसभा सत्र में संशोधन विधेयक पारित किया गया।
इसके बाद निजी विश्वविद्यालय बन चुके निजी मेडिकल कॉलेजों एसजीआरआर, सुभारती और हिमालयन विश्वविद्यालय के फीस नियंत्रण पर प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति का हस्तक्षेप खत्म हो गया। साथ ही निजी विश्वविद्यालयों को मेडिकल की फीस खुद तय करने में अड़ंगा भी हट गया। इसके बाद एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज ने अध्ययनरत छात्रों के लिए मौजूदा शुल्क में वृद्धि कर दी।
शुल्क में तकरीबन चार गुना वृद्धि के विरोध में मेडिकल कॉलेज गेट पर छात्र और अभिभावक पिछले एक सप्ताह से आंदोलन कर रहे थे। सरकार के हस्तक्षेप पर मेडिकल कॉलेज ने फीस संबंधी नोटिस वापस ले लिया, पर छात्र ठोस आश्वासन न मिलने के कारण धरने पर डटे थे। सोमवार शाम प्राचार्य व प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने धरना स्थल पर पहुंचकर छात्रों से बात की। उन्हें भरोसा दिलाया कि हाईकोर्ट या एपिलेट कमेटी के दिशा निर्देशों तक फीस पूर्ववत रहेगी। जिसके बाद छात्रों ने धरना समाप्त कर दिया है।