एजेंसी न्यूज
लखनऊ। संगठित अपराधियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने को करीब एक दशक पहले मायावती सरकार जिस कानून को लाने में सफल नहीं हो सकी उसे कुछ संशोधन के साथ योगी सरकार ने लागू करने का बीड़ा उठाया है। मकोका की तर्ज पर यूपीकोका (उत्तर प्रदेश कंट्रोल आफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट) लागू करने के लिए सरकार गुरुवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में विधेयक लाएगी। कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2017 के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
बुधवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 16 प्रस्तावों पर मुहर लगी। सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने फैसलों की जानकारी दी। यूपीकोका के संदर्भ में श्रीकांत शर्मा ने बताया कि बाहुबल से ठेका हथियाने, फिरौती के लिए अपहरण, अवैध खनन, अवैध शराब, वन उपज का गैर कानूनी ढंग से दोहन, नकली दवाओं का निर्माण, वन्य जीवों की तस्करी, सरकारी व गैर सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, रंगदारी या गुंडा टैक्स वसूलने जैसे संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ यूपीकोका लागू किया जाएगा। प्रदेश को भयमुक्त, अपराधमुक्त वातावरण देना योगी सरकार की प्राथमिकता है। गुंडागर्दी और माफियागिरी करने वालों को चिह्नित कर कठोर प्रभावी कार्रवाई होगी। महाराष्ट्र कंट्रोल आफ आर्गनाइज्ड क्राइम (मकोका) का गहन अध्ययन कर इसे तैयार किया गया है। श्रीकांत शर्मा ने बताया कि इस प्रस्तावित कानून में 28 ऐसे बिन्दु हैं जो गैंगस्टर एक्ट में नहीं हैं।
यूपीकोका का दुरुपयोग न हो, इसके लिए भी व्यवस्था की जा रही है। मंडल के कमिश्नर और परिक्षेत्र के डीआइजी की द्विसदस्यीय समिति के अनुमोदन के बाद ही यूपीकोका के तहत मुकदमा दर्ज हो सकेगा। इस अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत होने वाले मुकदमों की विवेचना के बाद आरोप पत्र दाखिल करने से पहले जोनल पुलिस महानिरीक्षक की अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
इस अधिनियम के लागू होने पर राज्य सरकार संगठित अपराधों से अर्जित की गई संपत्ति को विवेचना के दौरान ही संबंधित न्यायालय की अनुमति लेकर जब्त कर लेगी। इसका मकसद यह है कि अपराधी गैर कानूनी ढंग से हासिल की गई संपत्ति का दुरुपयोग अपने बचाव में न कर सकें। अभियोग में दंडित होने के बाद संगठित अपराधियों द्वारा अर्जित संपत्ति राज्य के पक्ष में जब्त कर लिया जाएगा।
पूरे प्रदेश में संगठित अपराध करने वाले गिरोहों पर नियंत्रण एवं उनकी गतिविधियों पर निगरानी के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है। इसमें अपर पुलिस महानिदेशक और विशेष सचिव न्याय भी सदस्य होंगे। जिला स्तर पर जिला संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण की स्थापना जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होगी।
इस अधिनियम में किसी की मनमानी न चल सके, इसकी भी व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में अपीलीय प्राधिकरण का भी गठन होगा। इस अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत सभी मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय का गठन होगा।
इस प्रस्तावित कानून में यह व्यवस्था हो रही है कि कोई भी संगठित अपराध करने वाले अपराधी, बाहुबली, सफेदपोश सरकारी सुरक्षा नहीं पा सकेगा। इतना ही नहीं, यह भी इंतजाम किए जा रहे हैं कि जब भी कोई निविदा खुलेगी तो संबंधित कक्ष में किसी भी निविदादाता को अस्त्र-शस्त्र के साथ प्रवेश करने पर मनाही होगी। बाहुबली, संगठित अपराध में लिप्त अपराधियों के खिलाफ गवाही देने वालों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही बंद कमरे में गवाही का भी प्रावधान किया गया है।