‘बम और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते’, भारत-पाक वार्ता को लेकर अमित शाह का दो टूक जवाब
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी का संकल्प पत्र जारी किया। शाह ने कहा कि 2014 के पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं बहुत ज्यादा होती थीं। इसके बाद से इन घटनाओं में कमी आई है।
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का मुद्दा सबसे हॉट टॉपिक है। दोनों देशों के बीच बातचीत कब शुरू होगी? इस सवाल का जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को दे दिया है। अमित शाह ने कहा कि भारत आतंकवाद समाप्त होने तक पाकिस्तान से बातचीत के पक्ष में नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘बातचीत और बम एक साथ नहीं चल सकते।’ शाह ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) का घोषणापत्र जारी करते हुए ये टिप्पणियां की है।अमित शाह ने आतंकवादी गतिविधियां जारी रहने के बीच पाकिस्तान के साथ बातचीत की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया। शाह ने कहा, ‘जब तक आतंकवाद समाप्त नहीं हो जाता, हम पाकिस्तान के साथ बातचीत के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन, हम कश्मीर के युवाओं से निश्चित रूप से बात करेंगे।’जब तक आतंकवाद समाप्त नहीं हो जाता
पाकिस्तान के साथ वार्ता फिर से शुरू करने और नियंत्रण रेखा के पार व्यापार बहाल करने की राजनीतिक दलों की मांगों के बारे में अमित शाह ने कहा कि जब तक आतंकवाद समाप्त नहीं हो जाता, हम इससे सहमत नहीं हो सकते हैं। शाह ने एनसी और कांग्रेस पर साधा निशाना
जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की मांग के बारे में अमित शाह ने कहा, ‘यह मांग लोगों को गुमराह करने के लिए है। मैंने हमेशा इस मांग को स्वीकार किया है। उचित समय पर इसे (राज्य का दर्जा) बहाल किया जाएगा।’ जमीन पर लागू नहीं हो सकता NC का एजेंडा नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 की बहाली के आश्वासन और कांग्रेस द्वारा एनसी को समर्थन से जुड़े सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए शाह ने कहा, ‘‘नेशनल कॉन्फ्रेंस का एजेंडा जमीन पर लागू नहीं हो सकता। अनुच्छेद 370 अतीत की बात है। यह इतिहास है। कोई भी इसे बहाल नहीं कर सकता।’ जम्मू-कश्मीर में 3 बार लगा था राष्ट्रपति शासन
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की जम्मू-कश्मीर पर बाहरी लोगों के शासन संबंधी टिप्पणी पर अमित शाह ने कहा, ‘अगर वह कहते हैं कि राष्ट्रपति शासन बाहरी लोगों का शासन है, तो मैं राहुल गांधी से कहना चाहता हूं कि आपकी सरकारों के दौरान जम्मू-कश्मीर में तीन बार राष्ट्रपति शासन लगा था।’