आज सकट चौथ पर जानिए आपके शहर में कब निकलेगा चांद और शुभ मुहूर्त

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आज सकट चौथ पर जानिए आपके शहर में कब निकलेगा चांद और शुभ मुहूर्त
आज, 29 जनवरी को सकट चौथ का त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ या फिर माघी चौथ भी कहते हैं। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। सकट चौथ के त्योहार पर मुख्य रूप से सुखकर्ता श्रीगणेश सर्वत्र पूजे जाते हैं। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के द्वारा अपने संतानों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए रखा जाता है। आइए जानते हैं इस सकट चौथ व्रत की तिथि, महत्व, पूजा शुभ मुहूर्त,उपाय और चंद्रोदय का समय…
वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक इस वर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 29 जनवरी को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से आरंभ हो चुकी है, जिसका समापन 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा। इस तरह से उदयातिथि के अनुसार सकट चौथ का व्रत आज यानी 29 जनवरी को ही रखा जाएगा।
सकट चौथ 2024 पूजा शुभ मुहूर्त
अमृत मुहूर्त( सर्वोत्तम)- सुबह 07 बजकर 12 मिनट से सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक
शुभ मुहूर्त ( उत्तम)- सुबह 09 बजकर 43 मिनट से सुबह 11 बजकर 15 मिनट तक
शाम का मुहूर्त- शाम 04 बजकर 37 मिनट से शाम 07 बजकर 36 मिनट तक
सकट चौथ व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि बहुत ही खास होती है। इस तिथि पर माताएं अपने संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखी हैं। सकट चौथ पर विघ्नहर्ता,मंगलकारी श्रीगणेश,चौथ माता और चंद्रदेव की विधिपूर्वक पूजा का विधान है। नारदपुराण के अनुसार मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी श्रीगणेश के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत को करने से मानसिक शांति,कार्यों में सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। सकट चौथ पर भगवान गणेश को तिल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। सकट चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व
सकट चौथ का व्रत विशेष रूप से संतान की दीर्घायु और उनके सुखद भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है। सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा और फिर चंद्रदेव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है। सकट चौथ की रात को भगवान गणेश, चौथ माता की पूजा के बाद चंद्रदेव के दर्शन और पूजा का महत्व होता है। रात्रि को चंद्रोदय होने के बाद चांद के दर्शन और अर्घ्य देकर व्रत को खोला जाता है। ताँबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन,कुश ,पुष्प,अक्षत आदि डालकर चन्द्रमा को यह बोलते हुए अर्घ्य दें-‘गगन रुपी समुद्र के माणिक्य चन्द्रमा ! दक्ष कन्या रोहिणी के प्रियतम !गणेश के प्रतिविम्ब !आप मेरा दिया हुआ यह अर्घ्य स्वीकार कीजिए।

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