9 साल बाद क्यों? 2024 चुनाव की वजह से… UCC को लेकर कपिल सिब्बल ने साधा निशाना

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9 साल बाद क्यों? 2024 चुनाव की वजह से… UCC को लेकर कपिल सिब्बल ने साधा निशाना
समान नागरिक संहिता यानी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून। अभी होता ये है कि हर धर्म का अपना अलग कानून है और वो उसी हिसाब से चलता है। इस मुद्दे पर 15 जून से ही 22वें लॉ कमीशन ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। यहां ऑनलाइन आम लोगों की राय मांगी जा रही है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद देश में जोरदार घमासान मचा हुआ है। पीएम मोदी के बयान के बाद विपक्ष के साथ-साथ मौलाना मौलवी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सभी का पारा सातवें आसमान पर तमतमा रहा है। इस बीच पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधा है। सिब्बल ने समान नागरिक संहिता पीएम मोदी की टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए प्रश्न किया कि आखिर नौ साल बाद यह बात क्यों? 2024 (चुनाव के लिए)?
दरअसल, भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने पहली बार यूनिफॉर्म सिविल कोड पर खुलकर बात की थी। इस दौरान एक महिला कार्यकर्ता ने उनसे यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी सवाल किया जिसका जवाब देते हुए पीएम ने कहा, ”आजकल समान नागरिक संहिता के नाम पर भड़काया जा रहा है। परिवार के एक सदस्य के लिए एक नियम हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा नियम हो तो क्या वो घर चल पाएगा? अगर एक घर में 2 कानून नहीं चल सकते तो फिर एक देश में 2 कानून कैसे चल सकते हैं।” उनके बयान से ये साफ हो गया था कि मोदी सरकार जल्द ही इसे लेकर कानून ला सकती है।प्रधानमंत्री ने विपक्ष दलों पर मुसलमानों को गुमराह करने और भड़काने के लिए यूसीसी मुद्दे का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था।कपिल सिब्बल ने किया ट्वीट
राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता पर जोर दिया…विपक्ष पर मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाया..पहला सवाल, आखिर नौ साल बाद यह बात क्यों? 2024 (चुनाव के लिए)? दूसरा सवाल, आपका प्रस्ताव कितना ‘समान’ है, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं? तीसरा सवाल, हर दिन आपकी पार्टी मुसलमानों को निशाना बनाती है। क्यों? अब आपको चिंता हो रही है।’’
गौरतलब है कि UCC के मुद्दे पर 15 जून से ही 22वें लॉ कमीशन ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से 13 जुलाई तक अपने विचार स्पष्ट करने को कहा गया है।

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