जानें कैसे होंगे पीएम मोदी के सपनों के “सूर्यग्राम”… जहां से उदय होगा विकसित भारत का सूर्य

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PM Modi and Suryagram: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा पूरे विश्व में सर्वाधिक दूरदर्शी सोच वाले नेताओं में यूं ही नहीं होती, बल्कि इसके पीछे मोदी का वह विजन है जो दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखता है। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने का सपना साकार करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे पीएम मोदी की दूरदर्शी सोच का लोहा अमेरिका से लेकर, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और रूस तक भी मानते हैं। इसीलिए पूरी दुनिया भारत के प्रधानमंत्री की कायल बन चुकी है। जल, थल से लेकर नभ तक में पीएम मोदी की दूरदर्शिता का दुनिया में कोई सानी नहीं है। कई बार बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी उनकी दूरदर्शिता को देखकर हैरान रह जाते हैं। देश-विदेश के बड़े-बड़े साइंटिस्ट सोचते हैं कि पीएम मोदी के पास ऐसे दुर्लभ आइडिया भला आते कहां से हैं, जो दुनिया में और किसी के पास नहीं होते।

आज प्रधानमंत्री के एक ऐसे ही दूरदर्शी विजन ने फिर देश से लेकर दुनिया तक के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल प्रधानमंत्री ने गुजरात के मोढेरा को भारत का पहला “सूर्यग्राम” घोषित किया है। इसके साथ ही वह देश भर में ऐसे ही “सूर्यग्राम” बनाने की अवधारणा को जनआंदोलन में बदलने की अपील कर रहे हैं। ताकि देश भर के सभी गांवों को “सूर्यग्रामों” में बदला जा सके। क्योंकि पीएम मोदी मानते हैं कि इन्हीं “सूर्यग्रामों” से एक दिन विकसित भारत का सूर्य उदय होगा, जो पूरी दुनिया को भारत की ताकत का एहसास कराएगा।

अब आप सोच रहे होंगे कि यह “सूर्यग्राम” हैं क्या और इन्हें कैसे बनाया जाएगा, इन “सूर्यग्राम” की खासियत क्या होगी। इससे लोगों की जिंदगी में क्या बदलाव आएंगे और इनसे विकसित भारत की इबारत भला कैसे लिखी जाएगी?…तो आइए अब आपको बताते हैं कि देश भर में बनने वाले पीएम मोदी के सपनों के “सूर्यग्रामों” की तस्वीर कैसी होगी। दरअसल सूर्यग्राम से मतलब सूरज का गांव है यान सूर्य का गांव…मतलब साफ है कि जो गांव पूरी तरह से सूर्य पर आधारित हो। यानि “सूर्यग्राम” ऐसे गांव होंगे, जहां 24 घंटे बिजली और ऊर्जा की जरूरतें सूर्य से पूरी होंगी। ऐसे गांवों में ऊर्जा का एक मात्र स्रोत सूर्य ही होगा।

ऐसे बनेंगे सूर्यग्राम
सूर्यग्राम वह गांव बनेंगे जहां ऊर्जा की सभी जरूरतें सूर्य से पूरी होंगी।
इसके लिए गांव के हर घर में सोलर एनर्जी पैनल लगेंगे।
घर के काम काज से लेकर लघु व कुटीर उद्योग के काम सूर्य ऊर्जा से ही चलेंगे।
खेती-बारी से जुड़े हर कार्य और सिंचाई का काम भी सूर्य ऊर्जा से होगा।
वाहनों और विभिन्न इलेक्ट्रानिक उपकरण भी सोलर एनर्जी से चार्ज और संचालित होंगे।
सूर्य ऊर्जा आधारित गांव पूरी तरह से पर्यावरण के मित्र होंगे।
ऐसे गांव भारत के सबसे स्मार्ट गांव, साफ-सुथरे और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे।
ऊर्जा के लिए आत्मनिर्भर इन गांवों में कार्बन उत्सर्जन जीरो होगा।
“सूर्यग्राम” शोर-शराबे और पर्यावरण प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त होंगे।
सूर्यग्रामों के पंचायत घर से लेकर स्कूल, कालेज, होटल और अन्य व्यवासायिक प्रतिष्ठान सूर्य उर्जा से ही चलेंगे।
सूर्य ऊर्जा के चलते इन्हें 100 फीसद बिजली बिल से मुक्ति मिलेगी।
सूर्य ऊर्जा से गांवों में खुशहाली और तरक्की के रास्ते खुलेंगे।
सूर्यग्राम अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के साथ ही साथ शेष सौर ऊर्जा सरकार को बेच सकेंगे।
सूर्य ऊर्जा को बेचकर गांव आमदनी बढ़ा सकेंगे।
इससे किसानों, पशु पालकों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और व्यापारियों की लागत कम होगी।
सूर्यग्राम बनने से आसपास पर्यटन की सुविधाएं भी बढ़ेंगी। इससे ग्रामीणों की आय में बढ़ोत्तरी होगी।
देश भर में जनआंदोलन से बढ़ेगी सूर्यग्रामों की संख्या
पीएम मोदी ने देश भर के लोगों से सूर्यग्रामों की संख्या बढ़ाने के लिए इस अभियान को जनआंदोलन में बदलने का आह्वान किया है। ताकि देश भर में ऐसे सूर्यग्रामों की संख्या को बढ़ाया जा सके। अगर ऐसा हुआ तो देश भर में बिजली की खपत आधे से भी कम हो जाएगी। गांव ऊर्जा के लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएंगे। ऐसे में ऊर्जा पर खर्च होने वाला पैसा देश के विकास के काम आएगा। यानि कहा जा सकता है कि तब विकसित भारत का सूर्य इन्हीं “सूर्यग्रामों” से उदय होगा। ऐसा करने के लिए भारत के पास अभी 25 वर्षों का समय है। इसलिए लोगों को अभी से इसके लिए जागरूक होना होगा। सूर्यग्राम बनाने में भारत सरकार पूरी मदद करेगी।

मोढ़ेरा कैसे बना भारत का पहला सूर्यग्राम
मोढेरा गुजरात के मेहसाणा जिले में पुष्पावती नदी के किनारे स्थित भारत का प्राचीन गांव है। यहां वर्ष 1026 में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव ने सूर्यमंदिर का निर्माण कराया था। यहां एक प्राचीन सूर्यकुंड भी है। सूर्यमंदिर के 52 स्तंभ हैं, जिनमें वास्तुकला का अद्भुद नमूना देखने को मिलता है। सूर्य मंदिर परिसर के यह 52 स्तूप वर्ष के 52 सप्ताह के प्रतीक के तौर पर हैं, जिनपर बहुत ही अद्भुद और मनमोहक नक्काशी की गई है। यह भारत में विलक्षण स्थापत्य एवं शिल्पकला का बेजोड़ उदाहरण है। मंदिर के तीन भाग हैं। मुख्य मंदिर (गूढ़ मंडप), सभा मंडम (52 स्तूप वाला) और कुंड (जलाशय)। कुंड में नीचे तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हैं और इसमें बहुत सारे छोटे-छोटे मंदिर हैं। इसीलिए पीएम मोदी ने इसे देश का पहला सूर्यग्राम बनाने के लिए चुना था। अब यहां ग्रामीणों और सरकार के सामूहिक प्रयास से 24 घंटे ऊर्जा की जरूरतें सूर्य से पूरी हो रही हैं। यहां हर घर की छत पर सौर ऊर्जा के लिए सोलर पैनल लगा है। इससे गांव में खुशहाली और समृद्धि की बयार है। यह “सूर्यग्राम” देश के अन्य गांवों में “सूर्यग्राम” बनाने के लिए रोल मॉडल बनेगा।

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