कहते है न कि अगर एक महिला ठान लें तो क्या नहीं कर सकती है। वह घर बना सकती है, तो उसी घर में रहने वालों का जीवन भी संवार सकती है। वह देश-दुनिया में कई बड़े पदों पर पदस्थ हैं। इसकी वजह महिलाओं का तेज दिमाग और हुनर है। लेकिन शारीरिक तौर पर भी महिलाएं अब कमजोर नहीं रहीं। महिलाओं को शारीरिक तौर पर कमतर समझने वालों के लिए मैरी कॉम, मीराबाई चानू जैसी दमदार महिलाएं भी हैं। वहीं बात अगर उम्र की बंदिशों की करें तो उसे भी भारतीय महिलाओं ने पीछे छोड़ दिया है। एडवेंचर और हाइकिंग को चुस्त-दुरुस्त लोगों की एक्टिविटी माना जाता है। कई बार तो शारीरिक तौर पर मजबूत लोगों के लिए भी हैकिंग और ट्रैकिंग आदि मुश्किल का काम होता है। ऐसे में अगर कोई महिला ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ाई करे, वह भी 60 साल से उम्र पार होने के बाद तो लोगों का अचंभित होना लाजमी है। लेकिन एक 62 साल की बूढ़ी महिला ने वेस्टर्न घाट की चोटियों पर चढ़ाई करके साबित कर दिया कि बुलंद हौसलों के सामने उम्र बाधा नहीं बन सकती है। यह कहानी है बेंगलुरु की रहने वाली नागरतनम्मा की। नागरतनम्मा की उम्र 62 साल है। वह बेंगलुरु की रहने वाली हैं। उनके नाम एक बड़ी उपलब्धि है। नागरतनम्मा ने इस उम्र में केरल की दूसरी सबसे ऊंची चोटी तिरुवनंतपुरम के अगस्त्यकुड़म पर चढ़ाई की है। सोशल मीडिया पर नागरतनम्मा का चोटी पर चढ़ाई करते वीडियो वायरल होने के बाद वह मशहूर हो गईं 16 फरवरी को नागरतनम्मा ने अगस्त्यार्कूदम चोटी पर रोप क्लाइंबिंग की। बता दें कि तिरुवनंतपुरम के अगस्त्यकुड़म सह्याद्री पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची और सबसे कठिन चोटियों में से एक है। नागरतनम्मा के साथ उनका बेटा और उसके दोस्त थे। नागरत्नम्मा की यह पहली चढ़ाई थी। शादी के बाद से ही परिवार और घर-गृहस्थी के कामों लगी एक घरेलू महिला ने उम्र बढ़ने के बाद भी अपने हौसले और निडरता को बरकरार रखा। खास बात ये है कि ऊंची चोटी की चढ़ाई करने वाली दादी नागररत्नम्मा ने कोई ट्रैकिंग सूट या पैंट व सलवार नहीं बल्कि पारंपरिक साड़ी पहनी है। जिस साड़ी को पहनकर चलना मुश्किल हो सकता है, उसे पहन कर उन्होंने केरल की एक ऊंची चोटी पर फतह प्राप्त कर ली। साड़ी में ट्रैकिंग करते उनका वीडियो जब सामने आया तो उसे देख हर कोई दादी की तारीफ करते नहीं थक रहा।