प्रयागराज. रानीगंज विधानसभा से सपा से टिकट न मिलने के बाद पूर्व मंत्री शिवाकांत ओझा 12 साल बाद घर वापसी करते हुए फिर भाजपा में शामिल हो गए। बृहस्पतिवार को उन्होंने दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। वह लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए हाथी पर भी सवार हो चुके हैं।
सपा में शामिल होकर 2012 के चुनाव में वह विधानसभा पहुंचे और मंत्री बने थे। इसके पहले व भाजपा से एक बार पट्टी तो दो बार बीरापुर से विधायक चुने गए थे। उनकी घर वापसी के बाद जिले की सियासत गरमा गई है।
मूलत: पट्टी तहसील के रमईपुर दिसनी गांव निवासी प्रो.शिवाकांत ओझा पहली बार राम लहर में वर्ष 1991 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में पट्टी से विधायक निर्वाचित हुए थे। उस समय कल्याण सिंह सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहे। दो साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में वह हार गए थे। इसके बाद 1996 व 2002 में लगातार बीरापुर से भाजपा के टिकट पर विधायक बने।
बसपा से लड़ चुके हैं लोकसभा का चुनाव
वर्ष 2007 में बसपा की लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2009 के लोकसभा चुनाव में वह हाथी पर सवार हो गए और बसपा के टिकट पर किस्मत आजमाई। हालांकि उन्हें कामयाबी नहीं मिली। चुनाव हारने के बाद बसपा नेतृत्व ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद शिवाकांत ओझा ने वर्ष 2012 में ऐन वक्त पर सपा का दामन थामा और बीरापुर से नई विधानसभा सीट बनी रानीगंज से विधायक बने।
अखिलेश मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ तो उसमें राजाभैया व राजाराम पांडेय को ही प्रतापगढ़ से स्थान मिला। एक नवंबर 2013 को राजाराम पांडेय के निधन के तीन महीने बाद फरवरी 2014 में उन्हें अखिलेश सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री बना दिया गया। हालांकि पंचायत चुनाव बाद उन्हें मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर दिया गया। 2017 में विधानसभा चुनाव करीब देख उन्हें फिर से मंत्री बनाया गया था। वर्ष 2017 में चुनाव हारने के बाद भी शिवाकांत ओझा सपा में सक्रिय रहे।
गत दिनों सपा के कार्यक्रम में सपा नेताओं से हुए विवाद के बाद पार्टी नेतृत्व उनसे नाराज चल रहा था। रानीगंज विधानसभा से टिकट के लिए शिवाकांत ओझा ने भी आवेदन किया था, मगर मंगलवार को सपा ने उनका टिकट काटकर विनोद दुबे को प्रत्याशी बना दिया। इसके बाद बारह साल बाद बृहस्पतिवार को शिवाकांत ओझा ने घर वापसी कर ली।
अशफाक अहमद बसपा से निष्कासित
प्रतापगढ़। बसपा ने कुछ दिनों पहले मानधाता प्रमुख के भाई अशफाक अहमद को विश्वनाथगंज विधानसभा से टिकट दिया था। बाद में उनका टिकट काट दिया गया। उनके स्थान पर पूर्व विधायक संजय त्रिपाठी को टिकट दे दिया गया। इसके बाद मानधाता इलाके में कुछ स्थानों पर संगठन के पदाधिकारियों का पुतला जलाया गया। सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी नेतृत्व खासा नाराज हुआ। जिलाध्यक्ष लालचंद गौतम ने बताया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते अशफाक अहमद को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।