हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। अहोई अष्टमी का व्रत सोमवार को है। यह व्रत माताएं अपनी संतानों की दीर्घायु और सुख समृद्धि की कामनापूर्ति के लिए रखती हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आने वाला यह व्रत अहोई अष्टमी और अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। निरूसंतान महिलाएं भी इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए रखती हैं।
पंडित के एन मिश्रा एवं पंडित केदार मुरारी ने बताया कि यह व्रत भी करवा चैथ के व्रत की तरह ही निर्जल रखा जाता है। इस दिन महिलाएं चांद के स्थान पर तारों को अर्घ्य देती हैं। उन्होंने बताया कि अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा से पहले महिलाओं को भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। इनकी पूजा के बिना कोई पूजा पूर्ण नहीं होती।
कैसे करें पूजा-व्रत की कथा सुनते समय सात प्रकार का नाज हाथ में रखें। पूजा के बाद इस अनाज को किसी गाय को खिला दें। पूजा का समय- शाम 5ः45 से 7ः02 बजे तकतारे दिखने का समय- शाम 6ः10 बजे। चंद्रोदयः- रात 11ः46 बजे। अष्टमी तिथि का आरंभ- 21 अक्टूबर को प्रातः 6ः44 बजेअष्टमी तिथि समाप्त- 22 अक्टूबर को प्रातः 5ः25 बजे।