उत्तराखण्ड की विशेषता तथा मूल क्षमता के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उन्मुखीकरण

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पौडी/देहरादून-गढ़वाल कमिश्नरी के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पौड़ी में प्रदेश की मंत्रीपरिषद की बैठक आयोजित की गई। इसमें मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज, डा. हरक सिंह रावत, श्री मदन कौशिक, श्री यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल, राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत, श्रीमती रेखा आर्य उपस्थित थे।
मंत्रीपरिषद ने पर्वतीय क्षेत्र से होने वाले पलायन पर गहन विचार विमर्श किया। इसमें मुख्यतः रोजगार व कौशल विकास, जल संचय व जलस्त्रोतों का संरक्षण के साथ ही ग्राम्य विकास की कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा की गई।

रोजगार पर मुख्य बिंदु- 

राज्य सरकार द्वारा उत्त्राखण्ड में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हेतु कार्ययोजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 को रोजगार वर्ष के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया।

  •  पेशेवर युवाओं हेतु मुख्यमंत्री युवा पेशेवर नीति प्रख्यापित की गयी।
  •  महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु जिला उद्योग केन्द्रों में महिलाओं के लिये हेल्प-डेस्अक व स्टैण्डअप योजना में समुचित प्रस्ताव तैयार किया जाना।
  •  देश के पर्वतीय जनपदां में अग्रणी उत्पाद/सेवा आधारित ग्रोथ सेंटर की स्थापना। इसमें क्लस्टर आधारित एप्रोच, वित्तीय समावेशन, ब्राण्ड का विकास व मार्केट लिंकेज।
  •  राज्य में स्टार्टअप को प्रोत्साहन। इन्क्यूबेटर की स्थापना व सभी जनपदों बूथ कैंप व स्टार्ट जागरूकता कार्यक्रमों का अयोजन।
  •  प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों तथा स्टार्टअप के लिए क्रय वरीयता नीति।
  •  विभिन्न विभाग स्वरोजगार हेतु निम्न योजनाओं का संचालन कर रही हैः-
  1.  ऋण आधारित ब्याज उपादान योजना-शहरी विकास, अल्पसंख्यक कल्याण, जनजाति कल्याण व बहुउद्देशीय वित्त विकास निगम, उत्तराखण्ड खादी बोर्ड (रू. 2 से 5 लाख तक की परियोजनायें)
  2.  वीर चन्द्र सिंह गढ़वाल पर्यटक स्वरोजगार योजना-वाहन व गैर वाहन हेतु अनुमन्य।
  3.  दीन दयाल उपाध्याय होम स्टे योजना।
  4.  उद्यान विभाग की मशरूम उत्पादकों, पॉलीहाउस व उद्यानिक गतिविधियों हेतु योजना।
  5.  राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन-स्वयं सहायकता समूह आधारित।
  6.  आईफेड-आईएलएसपी-ग्राम्या-उत्पादक समूह आधारित।
  7.  बैंकों द्वारा संचालित योजनायें-मुद्रा, स्टैण्डअप।
  8.  उद्योग-एमएसएमई विभाग द्वारा संचालित योजनायें-औद्योगिक विकास योजना, पीएमईजीपी, स्टार्टअप, एमएसएमई नीति, महिला उद्यमी विशेष प्रोत्साहन योजना।
  •  राज्य की पर्वतीय जनपदों में विशेष एकीकृत औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2008 से लागू होने के पश्चात 2937 इकाईयों की स्थापना द्वारा 32634 लोगों को रोजगार व रू. 440 करोड़ का पूंजी निवेश हुआ।
  •  प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अधीन वर्ष 2016-17 में 943 परियोजनाओं में रू. 15.62 करोड़ का पूंजी निवेश, 2017-18 में 1558 परियोजनाओं में रू. 28.10 करोड़ का पूंजी निवेश व वर्ष 2018-19 में 2168 परियोजनाओं रू. 40.83 करोड़ का पूंजी निवेश हुआ है। इनमें 6384 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया।
  •  राज्य के लिये चिन्ह्ति फोकस क्षेत्रों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिये पारदर्शी व्यवस्था। एकल खिड़की के माध्यम से समयबद्ध कार्यवाही व ईज ऑफ डूइंर्ग बिजनेस।
  •  उद्यमिता एवं रोजगार को बढ़ावा देने हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वरोजगार प्रोत्साहन व अनुश्रवण समिति का गठन।
  •  विभिन्न विभागों द्वारा संचालित स्वरोजगार योजनाओं की मैपिंग।
  •  पलायन के दृष्टि से चिन्ह्ति संवेदनशील क्षेत्रों में सभाव्य गतिविधियों को प्रोत्साहन।
  •  जिला स्तर पर विभिन्न उद्यमियों को बड़े निवेशकों के सम्पर्क में लाकर एन्सीलरी एवं वेण्डर डेवलपमेंट को   प्रोत्साहन।
  •  विभागों, संस्थाओं व बैंकों के मध्यम समन्वय।
  •  सेवा क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिये वांछित स्किल चिन्हीकरण।
  •  मॉडल प्रोजेक्ट रिपोर्ट की उपलब्धता।

जलसंचय व जलस्त्रोंतों के संरक्षण पर मुख्य बिंदु –

जल संचय तथा श्रोत संरक्षण-संवर्द्धन के कार्यों को बढ़ावा दिये जाने हेतु सम्पूर्ण भारत में जल शक्ति अभियान चलाये जाने विषयक मा. प्रधान मंत्री जी के आवाहन के आलोक में उत्तराखण्ड राज्य के सन्दर्भ में सतही एवं भूजल की वर्तमान स्थिति तथा प्रदेश के समस्त नागरिकों को जल की सुलभता सुनिश्चित करने हेतु सम्यक चर्चा की गयी, जिसके आधार पर प्रदेश के अर्न्तगत निम्न कार्य योजना के अनुसार प्रभावी कार्यवाही करने का निर्णय लिया गयाः-
1. जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशानुसार दिनांक 01.07.2019 से प्रस्तावित अभियान को प्रभावी ढंग से संचालित किया जायेगा।
2. राज्य की ‘जल नीति‘ शीघ्र जारी की जायेगी, ताकि सतही एवं भू-जल के उपयोग की प्राथमिकता निर्धारण के साथ-साथ संरक्षण-संवर्द्धन की नीति भी स्पष्ट होगी।
3. उत्तराखण्ड जल संसाधन प्रबंधन और नियामक अधिनियम, 2013 का प्रभावी क्रियान्वयन करते हुए सतही जल एवं भूजल के दोहन तथा संरक्षण के संबंध में शीघ्र विनियम ¼Regulations½ बनाये जायेंगे।
4. भारत सरकार द्वारा गठित जल शक्ति मंत्रालय की तर्ज पर प्रदेश के अन्तर्गत जल संबंधी विभागों यथा सिंचाई, लघु सिंचाई तथा पेयजल एवं स्वच्छता को एक मंत्रालय/विभाग के अधीन एकीकृत किया जायेगा।
5. प्रदेश के अन्तर्गत समस्त प्राकृतिक जल स्रोतों का चिन्हीकरण, जल संग्रहण क्षेत्र  ¼Catchment area½  का मानचित्रीकरण  ¼Mapping½  तथा स्थल आधारित उपचार/विकास की कार्ययोजना तैयार की जायेगी।
6. 25 मई को ‘जल दिवस‘ के रूप में मनाकर 30 जून तक चलाये जाने वाले जल संचय तथा स्रोत संरक्षण एवं संवर्द्धन अभियान को गणना योग्य लक्ष्य  ¼Measurable Targets½ आधारित एवं अधिक प्रभावी किया जायेगा। हरेला पर्व (माह जुलाई-अगस्त) के अवसर पर राज्यभर में वृहद वृक्षारोपण किया जायेगा।
7. केन्द्र पोषित कार्यक्रम मनरेगा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, कैम्पा तथा जायका परियोजना आदि का अधिक से अधिक अंश जल संचय एवं स्रोत संरक्षण-संवर्द्धन कार्यों पर व्यय किया जायेगा।
8. राज्य सरकार के द्वारा स्व-वित्त पोषित एक नवीन कार्यक्रम प्रारम्भ किया जायेगा, जिसके अन्तर्गत जल संचय तथा स्रोत संरक्षण-संवर्द्धन के विभागीय गतिमान कार्यों/कार्यक्रमों में  Gap Funding के साथ-साथ लघु एवं मध्यम श्रेणी के जलाशय निर्माण की परियोजनाओं के लिये धन उलब्ध कराया जायेगा।
9. नगरीय क्षेत्रों में पेयजल हेतु शत-प्रतिशत मीटर की व्यवस्था की जायेगी तथा जल मूल्य की दरों का तर्कसंगत निर्धारण किया जायेगा, जिससे कि जल अपव्यय को नियंत्रित किया जा सके।
10. नगरीय क्षेत्रों में बागवानी, भवन निर्माण, आंगन/वाहन धुलाई आदि कार्यों हेतु पेयजल योजना/ट्यूबवैल से जल लिये जाने पर शनैः-शनैः अंकुश लगाया जायेगा और इस हेतु सीवर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट से परिशोधित जल निःशुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जायेगी।
11. नगरीय क्षेत्र में भवन मानचित्र स्वीकृति हेतु रेन वाटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था की अनिवार्यता का कठोर अनुपालन कराया जायेगा।
12. समस्त पूर्व निर्मित शासकीय भवनों में रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाया जायेगा तथा नवीन प्रस्तावित शासकीय भवनों के प्राक्कलन में रूफटॉफ रेनवाटर हारवेस्टिंग का प्राविधान अनिवार्य किया जायेगा।
13. जल संकट क्षेत्रों में भू-जल/ट्यूबवैल के माध्यम से सिंचाई के साधनों में बदलाव (ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर, मल्चिंग, कन्टूरिंग आदि तकनीक) के साथ-साथ फसल चक्र  ¼Cropping pattern½  में बदलाव को प्रोस्साहित किया जायेगा।
14. पुरानी निष्क्रिय वाटर बॉडीज/तालाब/जोहड़ का पुनर्रोद्धार एवं रिचार्ज कराया जायेगा तथा इन पर विद्यमान अतिक्रमणों को शीघ्र हटाया जायेगा।
15. भविष्य में समस्त प्रस्तावित नई पेयजल योजनाओं की डी.पी.आर. में जल संग्रहण क्षेत्र  ¼Catchment Area½  संरक्षण कार्यों का प्राविधान अनिवार्य किया जायेगा। उक्त कार्यां हेतु पेयजल के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले गैर सरकार संस्थाओं/संगठनों का भी सहयोग लिया जायेगा, ताकि प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
16. भूजल के थोक उपभोक्ताओं के लिए (यथा उद्योग, होटल, बहुमंजिले भवन, फार्महाउस, स्वीमिंग पुल और जल मनोरंजन पार्क इत्यादि) यह बाध्यकारी किया जायेगा कि वह उसी भूजल क्षेत्र में प्रतिपूरक भूजल/रिचार्ज की व्यवस्था करें, जिससे अविवेकीय भूजल दोहन नियंत्रित किया जा सके और भूजल पुनर्भरण को प्रोत्साहित किया जा सके।
17. नये ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी जायेगी, जो उद्योग उपजल (वेस्ट वाटर) का पुनउर्पयोग करेंगे।
18. राज्य में ग्राम पंचायतां को प्राप्त होने वाले राज्य वित्त/14वां वित्त आयोग की धनराशि का एक नियत अंश पेयजल योजनाओं के रख-रखाव तथा जल संचय एवं स्रोत संरक्षण-संवर्द्धन हेतु व्यय करना अनिवार्य किया जायेगा।

कौशल विकास पर मुख्य बिंदु-

राज्य सरकार द्वारा पलायन को रोकने में कौशल विकास की अति महत्वपूर्ण भूमिका की दृष्टिगत प्रशिक्षण कौशल विकास एवं सेवायोजन विभागों को सम्मिलित करते हुए दिसम्बर 2018 में कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग का गठन किया गया। वर्तमान में इस विभाग के अन्तर्गत 119 औद्योगिक प्रशिक्षणा संस्थान संचालित है, जिनमें 35 ट्रेड/पाठ्यक्रमों के अन्तर्गत 5528 युवा व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। आगामी सत्र में इन संस्थानों की 7904 सीटों पर प्रवेश दिये जाने की कार्यवाही गतिमान है। विभाग द्वारा कौशल विकास कार्यों को गति प्रदान के उद्देश्य से निम्न प्रयास किये जा रहे है-

  •  औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के सुढृढीकरण, नये आधुनिक व्यवसाय पाठयक्रम को सम्मिलित करने तथा दूरस्थ क्षेत्रों के युवाओं तक व्यवसायिक प्रशिक्षण के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से विभाग के अन्तर्गत विश्व बैंक पोषित  Uttarakhand Workforce Development Project (UKWDP), Strengthening for Industrial Value Enhancement (STRIVE), Skill Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood Promotion (SANKALP)   परियोजनायें क्रियान्वित की जा रही है।
  •  राज्य की औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में आगामी सत्र से राज्य के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में नये अवसर सृजित करने हेतु कुछ नये पाठयक्रम आरम्भ किये जा रहे है, यथा सोलर टेक्नीशियन, ड्रोन टेक्नोलॉजी, योग, फूड प्रोडक्शन आदि।
  •  विभाग द्वारा संचालित  National Apprenticeship Promotion Scheme (NAPS)  के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राज्य में स्थापित उद्योगों का सर्वे कर उनमें प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षणार्थियों की संख्या का चिन्हाकंन किया गया है, जिससे कि दूरस्थ क्षेत्र के युवाओं को भी योजनान्तर्गत उद्योगों में प्रशिक्षण प्राप्त हो सके।
  •  उत्तराखण्ड कौशल विकास मिशन का पुर्नगठन-औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के पूरक के रूप में भारत सरकार की महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना तथा प्रदेश सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास योजनाओं को क्रियान्वित करने हेतु वर्तमान सरकार द्वारा उत्तराखण्ड कौशल विकास मिशन को पुर्नगठित कर कौशल विकास प्रशिक्षणों को मिशन मोड पर लिया गया है।
  •  क्षेत्र विशेषज्ञ (Domain Expert)  का कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ जोड़ना-प्रशिक्षुओं को विषय की व्यवहारिक ट्रेनिंग देने हेतु क्षेत्र विशेषज्ञों को प्रशिक्षण प्रदाता के रूप में जोड़ा जा रहा है, ताकि प्रशिक्षुओं की रोजगारपरकता तथा स्वरोजगार की क्षमता को बढ़ाया जा सके।
  •  उत्तराखण्ड की विशेषता तथा मूल क्षमता के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उन्मुखीकरण-यथा जैविक कृषि, पर्यटन(होम स्टे) से जुड़े विभिन्न विषय, औद्योनिकी पशुपालन, सोलर एनर्जी आदि।
  •  वर्ष 2020 तक कौशल विकास का लक्ष्य-विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत उत्तराखण्ड कौशल विकास मिशन द्वारा वर्ष 2020 तक 50 हजार युवाआें को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार/स्वरोजगार से जोड़े जाने का लक्ष्य है।

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