मु0 रिज़वान
मुरादाबाद। बिजली विभाग पर अधिकारी हमेशा दबाव डालते रहते हैं कि बकाया की वसूली शत प्रतिशत हो मगर जब बिजली विभाग की सबसे महत्वपूर्ण इकाई मीटर रीडिंग और बिलिंग अनाड़ी और नौसिखियों के हाथ में हो तो बकाया वसूली तो दूर की बात है समय पर बिजली बिल ही ठीक से जमा हो जाये तो गनीमत है। बिजली विभाग की बिलिंग व्यवस्था लंगड़े घोड़े की तरह है जो घिसट घिसट कर चल तो सकता है मगर दौड़ नहीं सकता।
बिजली विभाग ने उपभोक्ताओ को हर महीने उपभोग की गयी बिजली के बिल देने और मीटर की रीडिंग लेने का कार्य पिछले काफी सालों से ठेके पर दिया हुआ है। इस समय फ्लूएंट ग्रिड कम्पनी के पास बिलिंग का ठेका है। अब इस ठेके में घपले की क्या ठोकापीटी हो रही है इसके बारे में जब हुकूमत एक्सप्रेस ने बारीकी से पड़ताल की तो पता चला कि कम्पनी ने मोटा मुनाफा कमाने के लिए नौसिखिये व अन्ट्रेन्ड बेरोजगार युवकों को संविदा पर रखा हुआ है। जिन्हें ठीक से बिलिंग मशीन पकड़नी नहीं आती उनसे मीटरो की रीडिंग कराई जा रही है जिसका खामियाजा उपभोक्ताओ को भुगतना पड़ रहा है। यह अनाड़ी व नौसिखिये मीटर रीडर हर महीने अनाप शनाप बिल निकाल रहे है। रीडिंग कुछ की कुछ दर्शा रहे हैं। बिल में कुछ है और कम्प्यूटर पर कुछ और नजर आ रहा है।
इसी का एक ताजा उदाहरण है असालतपुरा बिजली घर से जुड़े सीधी सराय फसियो गली डिवीजन तृतीय से सम्बद्ध बिल का। इस इलाके का मीटर रीडर अंकित है जिसने 13 दिसम्बर को उपभोक्ता मौ0 कदीर के 65 यूनिट का 354 रूपये का बिल निकाला। उपभोक्ता जब बिजली घर पर बिल जमा करने गये तो वहां कम्प्यूटर पर 34363 रूपये का बिल दर्शाया जा रहा है। उपभोक्ता ने जब इस सम्बन्ध में सीतापुरी एसडीओ से बात की तो उन्होनें बिल देखने के बाद बताया कि मीटर रीडर की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ है। उसने पहले गलत रीडिंग एंटर कर दी जो कि कम्प्यूटर में फीड हो गई। गलती का अहसास होने पर उसने दोबारा सही रीडिंग का बिल तो निकाल दिया मगर कम्प्यूटर पर दर्ज पहले की 5224 यूनिट की फीडिंग का नहीं हटा पाया। इसी वजह से यह गड़बड़ हुई। बहरहाल एसडीओ ने उक्त मीटर की रीडिंग असालतपुरा बिजली घर से वैरीफाई कराकर इसे सही करने के लिए उपभोक्ता को जल्द कह दिया है।
इसके अलावा इसी मीटर रीडर अंकित की लापरवाही का एक और मामला इसी फसियो गली का है। यहां विधवा बदरूल जहां के घरेलू कनेक्शन का बिल गलत निकाल दिया। किसी गुलशन नगर का बिल उन्हें थमा गया। घर पर कोई था नहीं और विधवा ने बिना देखे बिल रख लिया। जब घर के अन्य सदस्य आये तो उन्होनें देखा कि बिल गलत है। अब अगले महीने बिल सही आने के इन्तजार में इस बिल को रोक दिया गया है।
अब सवाल यह है कि आखिर यह अनाड़ीपन मीटर रीडर क्यूं दिखा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस समय अधिकांश मीटर रीडरों को कई-कई महीने का मानदेय नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से वह हर महीने बिल निकालने के एवज में उपभोक्ता से 20 से 50 रूपये तक वसूल कर घर का खर्च चला रहे है और यही वजह है कि जो 20 रूपये देने से मना करता है तो उसके बिलो में इसी तरह गड़बड़ी कर दी जाती है ताकि उपभोक्ता बिल सही कराने के लिए परेशान होकर अगले महीने से उन्हें 20 रूपये देना शुरू कर दे। इसके अलावा 20 रूपये मिलने के बाद मीटर रीडर उपभोक्ताओ को बिजली चोरी करने की खुली छूट दे देते है। मीटर में भारी संख्या में रीडिंग तक स्टोर कर देते है। एक्सईएन अगर इसकी गोपनीय जांच करायें तो इन मीटर रीडरों का सारा कच्चा चिट्ठा सामने आ जायेगा। असालतपुरा क्षेत्र के ही अनेको उपभोक्ता अपने बिल सही कराने के लिए सीतापुरी के चक्कर लगा रहे है। लोगों का यही आक्रोश आए दिन बिजली चेकिंग के दौरान टीम पर निकल रहा है। अगर बिजली बिलो की हर महीने शत प्रतिशत वसूली विभाग को करनी है तो मीटर रीडिंग व बिलिंग व्यवस्था को ठेके से निकालकर सरकारी कर्मचारियों के हाथ में देना होगा वरना सब ऐसे ही घपलेबाजी चलेगी रहेगी और बिजली विभाग दिन ब दिन घाटे में जामा रहेगा। अन्ट्रेंड और नौसिखिये मीटर रीडर बिजली विभाग को दीमक की तरह चाट रहे है। यहां बता दें कि इससे पहले भी शहर में कई मीटर रीडरों पर घपले की गाज गिर चुकी है। रीडिंग में हेरफेर कर उपभोक्ताओ से वसूली और विभाग को नुकसान पहुंचाने के आरोप में कई मीटर रीडर नप चुके है। ठेका लेने वाली कम्पनी पूरी तरह आंखे बंद किये हुए है कि वह किन अनाड़ियों को भर्ती कर रही है और यह अनाड़ी किस तरह से बिजली विभाग को नुकसान पहुंचा रहे है। कम्पनी को बस अपने मुनाफे से मतलब है। वहीं बिजली विभाग भी उपभोक्ताओ की समस्याओ को नजरअंदाज कर मीटर रीडिंग व बिलिंग व्यवस्था को ठेके पर देकर चैन की नींद सो रहा है। उपभोक्ता परेशान हो रहा है तो होता रहे और परेशान होकर बिजली चेकिंग टीमों पर अपनी भड़ास निकाल रहा है तो निकालता रहे। परन्तु यह हालात बिजली विभाग के लिए पतन का संकेत है। ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं कि सरकार को बिजली विभाग को प्राइवेट हाथो ंमें देना पड़े।