दीनदयाल नगर के रामलीला मंचन में श्रीराम भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ गये वनवास को

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हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। कांठ रोड के दीनदयाल नगर के नेहरू युवा केन्द्र में श्री रामलीला समिति के तत्वाधान में चल रहे रामलीला मंचन में मंगलवार केा तीसरे दिन रघुवंश सांस्कृतिक परिवार द्वारा श्रीराम के राजतिलक की तैयारी, मंथरा कैकेयी संवाद, दशरथ से कैकेयी का वरदान मांगना, राम का वनवास को जाना, श्रीराम केवट संवाद, प्रसंग का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया।
मंगलवार के मंचन मंे दिखाया गया कि मिथिला में सीता स्वयंवर और सीता-राम विवाह के उपरान्त राजा दशरथ ने श्रीराम को अयोध्या की राजगद्दी सौंपने को लेकर गुरू वशिष्ठ से मंत्रणा के बाद श्रीराम के राजतिलक की तैयारी प्रारम्भ करने का आदेश मंत्री आर्य सुमंत को दिया। श्रीराम के राजतिलक की खबर सुनकर अयोध्या वासियो की खुशी का ठिकाना न रहा। यह खबर जब रानी कैकेयी की दासी मंथरा को मिलती है तो वह भागकर कैकेयी के पास जाकर कहती है कि अगर राम राजा बन गये तो आपके पुत्र भरत का क्या होगा? मंथरा ने कैकेयी को दिग्भ्रमित कर दिया और याद दिलाया कि वह राजा दशरथ द्वारा कैकेयी को दिये दो वरदानों को मांगे जिसमें राम को 14 वर्ष का वनवास और भरत को राजगद्दी मांगे। मंथरा कैकेयी को बहकाने में सफल हो जाती है। कैकेयी के कोपभवन में जाने की बात जैसे ही राजा दशरथ को पता चलती है तो वह उन्हे मनाते हैं मगर असफल रहते है। कैकेयी द्वारा मांगे दो वरदानों से दशरथ को आघात लगता है और वह कुछ बोल नहीं पाते। इतने में सवेरा होता है और कैकेयी सुमुंत को राम को बुलाने का आदेश देती है। श्रीराम आते हैं और पिता की यह दशा देखकर कारण पूछते हैं तो कैकेयी उन्हें पूरी कहानी बताती हैं। श्रीराम माता कैकेयी की इच्छा अनुरूप सहर्ष वनागमन हेतु तैयार हो जाते है। राम कहते हैं सुनु जननी सोई सुतु बड़भागी जो पितु मातु वचन अनुरागी।
श्रीराम, पत्नी सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ माता कौशल्या का आर्शीवाद लेकर वन को चल पड़ते है। अयोध्या वासी भी उनके साथ वन को चल पड़ते है। परन्तु श्रीराम रात विश्राम के बहाने अयोध्यावासियों को रात में ही सोता छोड़कर वन चले जाते हैं वनागमन पथ पर प्रयाग से पूर्व श्रंगवेरपुर नामक स्थान पर गंगा के किनारे पहुंचते हैं जहां उनसे निषादराज केवट से श्रीराम गंगा पार कराने का आगृह करते हैं। इस दौरान श्रीराम केवट संवाद होता है। केवट कहता है नाथ मैं आपके चरण कमल धोये बगैर अपनी नांव में नही चढ़ाऊंगा। आपसे कोई उतराई नहीं लूंगा। भले लखनलाल मुझे तीर ही क्यूं न मारे। श्रीराम तैयार हो जाते है।
रघुवंश सांस्कृतिक परिवार के कलाकारों द्वारा इस प्रसंग का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया। क्षेत्रवासियों ने श्रीराम-सीता के दर्शन कर धर्मलाभ कमाया। रामलीला समिति ने मंचन के दौरान शांति एवं व्यवस्था बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसमें हेमंत चैधरी, अजय कट्टा, संजय धवन, सुधांशू कौशिक, गोरखनाथ, उपदेश अग्रवाल, राजीव वर्मा आदि ने महत्वपूर्ण सहयोग किया।

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