भारत किसी के दबाव में नहीं आता, चीन के ‘बेल्ट एंड रोड’ इनिशिएटिव पर जयशंकर की दो टूक
विदेश मंत्री ने उत्तरी सीमा की स्थिति और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ इनिशिएटिव के खिलाफ देश के रुख का हवाला देते हुए कहा कि भारत किसी दबाव, झांसे और गलत विमर्श से प्रभावित नहीं होता।
भारत किसी के दबाव में नहीं आता, चीन के ‘बेल्ट एंड रोड’ इनिशिएटिव पर जयशंकर की दो टूक
चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है। विस्तारवादी नीति को बढ़ावा देते हुए वह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटव के तहत अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है। इस पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्री ने उत्तरी सीमा की स्थिति और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ इनिशिएटिव के खिलाफ देश के रुख का हवाला देते हुए कहा कि भारत किसी दबाव, झांसे और गलत विमर्श से प्रभावित नहीं होता।
मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि ‘भारत ने यह तय किया है कि सीमा पार आतंकवाद को अब जायज ना ठहराया जा सके। विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में दुनिया के महत्वपूर्ण देशों के साथ संबंधों, विभिन्न स्थितियों से निपटने सहित भारतीय विदेश नीति के कई पहलुओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया के मंच पर अहम आर्थिक प्रभाव डाल रहा है, जिसे दुनिया ने भी स्वीकार किया है।
2014 में सत्ता में आने के बाद से भारत की दुनिया में बढ़ी धाक
विदेश मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने पर पड़ोसी देशों के नेताओं के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने से लेकर आज तक विदेश नीति को लेकर स्पष्टता रही है जो दुनिया को जानने, पड़ोस प्रथम सहित अन्य रूपों में सामने आई। विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया का बड़ा हिस्सा भारत को एक विकास साझेदार के रूप में पहचानता है। भारत का वैश्विक मंच पर काफी योगदान, ‘ऑपरेशन मैत्री’ का किया जिक्र
उन्होंने साथ ही कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के तौर पर देखता है। जयशंकर ने उत्तरी सीमा पर स्थिति और ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के खिलाफ देश के रुख का हवाला देते हुए कहा कि भारत किसी दबाव में नहीं आता। विदेश मंत्री ने वैश्विक मंच पर भारत के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि आर्थिक क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें करोनो वैक्सीन की आपूर्ति का अभियान ‘ऑपरेशन मैत्री’ भी शामिल है।विदेशों किए गए काम को लेकर कही ये बातें
उन्होंने देशों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने में भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए श्रीलंका के आर्थिक संकट का उदाहरण दिया। उन्होंने विदेशों में रहने वाले भारतीयों के कल्याण का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘हमने लगभग हर वर्ष किसी न किसी अभियान को संचालित किया ।’ विदेश मंत्री ने इस संबंध में यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को वापस लाने, सूडान और अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों को वापस लाने संबंधी अभियानों का जिक्र किया।