CM योगी बोले- यूपी में पहले 38 जिले बाढ़ से जूझ रहे थे, अब सिर्फ 4 हैं

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CM योगी बोले- यूपी में पहले 38 जिले बाढ़ से जूझ रहे थे, अब सिर्फ 4 हैं
सीएम योगी ने यूपी के मिर्जापुर और सोनभद्र जैसे जिलों में आकाशीय बिजली से होने वाली जनहानि की जानकारी देते हुए इसे रोकने के लिए अलर्ट सिस्टम को और बेहतर करने की जरुरत जताई।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभिन्न आपदाओं से बचाव के लिए सतर्कता और जागरूकता को बढ़ाए जाने की जरुरत बताई है। आपदा प्रबंधन को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अगर लोगों को यह पता होगा कि बाढ़, भूकंप, आकाशीय बिजली, अग्निकांड आदि के समय उन्हें कैसी सावधानियां बरतनी चाहिए, तो निश्चित ही बड़ी जनहानि से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक यूपी के 38 जिले हर साल बाढ़ से प्रभावित होते थे। व्यापक तौर पर जनधन की हानि होती थी। आज यह मात्र चार जिलों तक सिमट कर रह गई है। अखिलेश यादव ने सीएम योगी पर साधा निशाना, कहा- “उन्होंने खुद फिजिक्स नहीं पढ़ी और हमें पेंडुलम सिखा रहे हैं”
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आपदा मित्रों की भूमिका की सराहना
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से आयोजित विभिन्न राज्यों के आपदा प्रबंधन प्रधिकरणों के तृतीय क्षेत्रीय सम्मेलन में आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने मिर्जापुर और सोनभद्र जैसे जिलों में आकाशीय बिजली से होने वाली जनहानि की जानकारी देते हुए इसे रोकने के लिए अलर्ट सिस्टम को और बेहतर करने की जरुरत भी जताई। मुख्यमंत्री ने आपदाओं की रोकथाम में आपदा मित्रों की भूमिका की सराहना करते हुए इस कार्य में ग्राम पंचायतों को जोड़ने और आपदा मित्रों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया।
उत्तर प्रदेश की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में हर साल बड़ी जन-धन हानि का कारण बनती रही बाढ़ आपदा के स्थायी समाधान के लिए जारी प्रयासों से भी सभी को अवगत कराया। राज्यों के आपदा प्रबंधन प्रधिकारणों के इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं की ओर भी सभी का ध्यान खींचा।
सीएम ने कहा,वैश्विक महामारी कोरोना, जिसने पूरी दुनिया को बांध कर रख दिया था, उससे उत्तर प्रदेश जैसी बड़ी आबादी वाले राज्य में अब तक 30 हजार लोगों की मृत्यु हुई है, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं के कारण हर साल करीब 22 हजार लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है। इसके पीछे कहीं-कहीं खराब रोड इंजीनियरिंग का कारण संभव है, लेकिन हेलमेट, सीटबेल्ट का इस्तेमाल न करना, शराब पीकर वाहन चलाना, ओवर स्पीडिंग सबसे बड़े कारण हैं। इसे रोकने के लिए हमें जागरूकता बढ़ानी होगी।

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