वाशिंगटन। सिर्फ दक्षिण चीन सागर में ही नहीं, बल्कि स्पेस मिलिट्री (अंतरिक्ष सैन्य) रेस में भी चीन लगातार अपने वर्चस्व को तेजी से बढ़ा रहा है। चीन के इस बढ़ते वर्चस्व ने अमेरिका को भी चिंता में डाल दिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतरिक्ष विंग के प्रमुख ने सोमवार को कहा कि चीन की सैन्य क्षमताओं में तेजी से हो रही प्रगति ने बाहरी अंतरिक्ष में अमेरिकी वर्चस्व के लिए जोखिम को बढ़ा दिया है। चीन की यह प्रगति पूरे विश्व के लिए खतरे की घंटी है। अमेरिकी अंतरिक्ष बल के कर्मचारियों की निदेशक नीना आर्माग्नो ने कहा कि बीजिंग ने सैन्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें उपग्रह संचार और पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष यान जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जो देशों को अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को तेजी से बढ़ाने की अनुमति देते हैं। उन्होंने कहा कि “मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से संभव है कि वे पूरी तरह से हमें सिर्फ पकड़ ही नहीं सकते, बल्कि हमसे आगे भी निकल सकते हैं। ” आर्माग्नो ने अमेरिकी और आस्ट्रेलियाई सरकारों की ओर से आंशिक रूप से वित्त पोषित सिडनी के आॅस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा चलाए जा रहे एकशोध संगठन के कार्यक्रम में कहाकि “उन्होंने (चीन ने) जो प्रगति की है वह बेहद आश्चर्यजनक होने के साथ आश्चर्यजनक रूप से तेज भी है।
अमेरिका और रूस को अंतरिक्ष में चीन की चुनौती
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि कभी संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के वर्चस्व वाली अंतरिक्ष की दौड़ में ऐतिहासिक रूप से पीछे रहने वाले बीजिंग ने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसने वाशिंगटन और अन्य पश्चिमी देशों को चिंतित कर दिया है। चीनी लूनर एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के प्रमुख ये पेजियन ने दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों के लिए चंद्रमा और मंगल की तुलना की है, जिस पर बीजिंग दावा करने का प्रयास कर रहा है। चीन प्राकृतिक संसाधनों के लिए क्षुद्रग्रहों और छोटे ग्रहों के खनन के उद्देश्य से प्रायोगिक तकनीक भी विकसित कर रहा है। इससे अमेरिका की चिंताएं बढ़ना लाजमी हैं।
चीन के मिसाइल परीक्षणों से भी अमेरिका चिंतित
अमेरिका की चिंता सिर्फ चीन के स्पेस मिलिट्री रेस में आगे बढ़ने को लेकर ही नहीं है, बल्कि चीन द्वारा बेफिक्र और लापरवाह होकर किए जा रहे मिसाइल परीक्षणों को लेकर भी है। चीन ने दक्षिण चीन सागर को एक तरह से परमाणु बम से युक्त मिसाइलें लांच करने का अड्डा बना दिया है। इससे अमेरिका समेत विश्व के अन्य देश भी चिंता में पड़ गए हैं। अमेरिकी सैन्य अधिकारी अर्माग्नो ने कहाकि “चीन एकमात्र ऐसा देश है जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को फिर से आकार देने और उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए तेजी से आर्थिक, राजनयिक, सैन्य और तकनीकी शक्ति का विकास कर रहा है।
अर्माग्नो ने कहा कि रूस के साथ-साथ चीन ने भी “लापरवाह” मिसाइल परीक्षण किया है, जिसने हाल के वर्षों में खतरनाक मात्रा में अंतरिक्ष मलबे का निर्माण किया है।
चीन की चाल सभी देशों के लिए खतरा
अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा कि जिस तरह से चीन ने स्पेस मिलिट्री रेस में अपने वर्चस्व को बढ़ाया है और अंतरिक्ष में मलबा बढ़ाया है, इसने अंतरिक्ष में हमारे सभी सिस्टम को एक तरह से धमकी दी है। जबकि ये सिस्टम सभी देशों की सुरक्षा के साथ ही साथ आर्थिक और वैज्ञानिक हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं। चीन की बढ़ती क्षमताओं का मुकाबला करने के प्रयास के रूप में 2019 में स्थापित अंतरिक्ष बल अमेरिकी सेना की चौथी शाखा है, जिसमें आर्माग्नो अपने पहले स्थायी नेता के रूप में सेवारत है। यह मंगलवार को अपने नए अंतरिक्ष स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लॉन्च करने के लिए तैयार है।