भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जंगी जहाज, 20000 करोड़ में बनकर हुआ

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भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जंगी जहाज, 20000 करोड़ में बनकर हुआ तैयार, जानें ‘INS VIKRANT’ की ताकत
विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा, जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है, जो भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक वास्तविक प्रमाण होगा।
भारतीय नौसेना में शामिल होगा आईएनएस विक्रांतपीएम मोदी केरल में देश को सौंपेंगे सबसे बड़ा जहाजभारत के समुद्री इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा जहाज है
INS Vikrant: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत यानी जंगी जहाज ‘आईएनएस विक्रांत’ नौसेना को सौंपेंगे। यह भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जहाज है। पीएम मोदी कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने स्वदेशी अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण करेंगे। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ‘नए नौसैनिक ध्वज (निशान) का भी अनावरण करेंगे, जो औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़ते हुए समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप होगा।’ भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने इससे पहले कहा था कि आईएनएस विक्रांत हिंद प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा।
उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे। आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा, जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है, जो भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक वास्तविक प्रमाण होगा। युद्धपोत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है। जंगी जहाज का नाम विक्रांत क्यों रखा गया?
विक्रांत के साथ ही भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे। भारतीय नौसेना के संगठन, युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (डब्ल्यूडीबी) द्वारा डिजाइन किया गया और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित इस स्वदेशी विमान वाहक का नाम उसके शानदार पूर्ववर्ती भारत के पहले विमानवाहक के ‘विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विक्रांत का अर्थ विजयी और वीर होता है। स्वदेशी विमानवाहक (आईएसी) की नींव अप्रैल 2005 में औपचारिक स्टील कटिंग द्वारा रखी गई थी। विमान वाहक बनाने के लिए खास तरह के स्टील की जरूरत होती है, जिसे वॉरशिप ग्रेड स्टील (डब्ल्यूजीएस) कहते हैं।
स्वदेशीकरण अभियान को आगे बढ़ाते हुए आईएसी के निर्माण के लिए आवश्यक वॉरशिप ग्रेड स्टील को रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) और भारतीय नौसेना के सहयोग से स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के माध्यम से सफलतापूर्वक देश में बनाया गया था। इसके बाद जहाज के खोल (ढांचा निर्माण) का काम आगे बढ़ा और फरवरी 2009 में जहाज के पठाण (नौतल, कील) का निर्माण शुरू हुआ यानी युद्धपोत के निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ी। पठाण, जहाज का सबसे नीचे रहने वाला बुनियादी अवयव है, जिसके सहारे समस्त ढांचा खड़ा किया जाता है। जहाज निर्माण का पहला चरण अगस्त 2013 में जहाज के सफल प्रक्षेपण के साथ पूरा हुआ। 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत 18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है।
जहाज में लगभग 2,200 कक्ष हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं। मशीनरी संचालन, जहाज नौवहन और उत्तरजीविता के लिए बहुत उच्च स्तर के स्वचालन के साथ डिजाइन किया गया यह विमानवाहक, अत्याधुनिक उपकरणों और प्रणालियों से लैस है। जहाज में नवीनतम चिकित्सा उपकरण सुविधाओं के साथ एक पूर्ण अत्याधुनिक चिकित्सा परिसर है, जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ओटी (ऑपरेशन थिएटर), आपातकालीन मॉड्यूलर ओटी, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, दंत चिकित्सा परिसर, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं शामिल हैं। यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा।
भारतीय नौसेना के नाम के पीछे क्या है कहानी?
भारतीय नौसेना की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के मुताबिक, दो अक्टूबर 1934 को नौसेना का नया नामकरण ‘रॉयल इंडियन नेवी’ के रूप में किया गया था, जिसका मुख्यालय बंबई (मौजूदा मुंबई) में बनाया गया था। आजादी के बाद देश का विभाजन होने पर रॉयल इंडियन नेवी को रॉयल इंडियन नेवी और रॉयल पाकिस्तान नेवी के रूप में विभाजित कर दिया गया। भारत के 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र घोषित होने पर ‘रॉयल’ शब्द को हटा दिया गया और इसकी जगह ‘इंडियन नेवी’ (भारतीय नौसेना) शब्दावली अपनाई गई। नौसेना का मौजूदा डिजाइन एक सफेद ध्वज है, जिस पर क्षैतिज और लंबवत रूप में लाल रंग की दो पट्टियां हैं। साथ ही, भारत का राष्ट्रीय चिह्न (अशोक स्तंभ) दोनों पट्टियों के मिलन बिंदु पर अंकित है। पीएमओ के बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री विशेष रूप से सामरिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के प्रबल समर्थक हैं।
विक्रांत को दो सितंबर को नौसेना की सेवा में शामिल करने के लिए शुक्रवार को इसके चालक दल के 1600 सदस्यों और अन्य कर्मियों ने कड़ी मेहनत की। युद्धपोत को नौसेना में शामिल करने के लिए होने वाले हाईप्रोफाइल कार्यक्रम से पहले इसकी पेंटिंग और सफाई कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे। इस पोत का वजन 45,000 टन है। इसे यहां कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड में रखा गया है, जहां इसे निर्मित किया गया है। पूरे क्षेत्र में 2,000 से अधिक असैन्य कर्मी और नौसेना कर्मी जोर-शोर से अंतिम क्षणों की तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देने के लिए नौसेना के 100 सदस्यों की एक टीम अपने बैंड के साथ अभ्यास करते देखी गई है। जहाज के अंदर कौन सी सुविधाएं हैं मौजूद?
स्वदेशी विमानवाहक पोत के एयरोस्पेस मेडिसीन विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट कमांडर वंजारिया हर्ष ने बताया कि इस पर तीन महीने के लिए दवाइयां और सर्जरी में उपयोग आने वाले उपकरण सदा उपलब्ध होंगे। पोत पर तीन रसोई होंगी, जो इसके चालक दल के 1,600 सदस्यों के भोजन की जरूरतों को पूरा करेंगी। इस पोत का डिजाइन नौसेना के वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है और इसका निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। पोत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है और इसकी अधिकतम गति 28 नॉट है। विक्रांत में करीब 2,200 कंपार्टमेंट हैं, जो इसके चालक दल के करीब 1,600 सदस्यों के लिए हैं, जिनमें महिला अधिकारी और नाविक भी शामिल हैं। विक्रांत ने पिछले साल 21 अगस्त से अब तक समुद्र में परीक्षण के कई चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
बयान के अनुसार, ‘पोत में लड़ाकू विमान मिग-29के, कामोव-31, एमएच-60आर बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर के साथ ही स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलएसी) सहित 30 विमानों को रखने की क्षमता है।

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