प्रयागराज। ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेवश्वर नाथ मंदिर विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई 6 जुलाई तक के लिए टाल दी। अदालत ने आज सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और अगली सुनवाई के लिए छह जुलाई की तारीख तय कर दी है। इससे पहले अदालत ने सोमवार को मामले की सुनवाई की थी और 20 मई की तारीख दी थी।
सोमवार को सुनवाई के दौरान क्या हुआ था
सोमवार को करीब एक घंटे तक चली सुनवाई में केवल मंदिर पक्ष की ओर से तथ्य पेश किए गए। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि मस्जिद में सिर्फ याची को नमाज पढ़ने की अनुमति कोर्ट ने दी थी, अन्य मुसलमानों को नहीं।
इसके पहले सुनवाई शुरू होते हुए वाराणसी की जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के हो रहे सर्वे और सर्वे को लेकर को हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों से स्थिति जाननी चाही। कोर्ट को बताया गया कि सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी। जबकि, निचली अदालत के आदेश पर सोमवार को भी सर्वे का काम हुआ। मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी पेश हुए। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में एक बड़ा शिवलिंग मिला है। निचली अदालत ने उस एरिया को सील करा दिया है।
कम समय के चलते वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता नहीं रख सके पक्ष
अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सन 1936 में दीन मोहम्मद, मोहम्मद हुसैन व मोहम्मद जकारिया ने बनारस की अधीनस्थ अदालत में वाद दायर किया था। इसमें मौजा शहर खास, परगना देहात अमानत, बनारस गाटा संख्या 9130, एक बीघा नौ बिस्वा छह धूर, चबूतरा, पेड़, पक्का कुआं आदि को वक्फ संपत्ति घोषित करने और अलविदा नमाज पढ़ने अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। अधिवक्ता के मुताबिक कोर्ट ने दावा साबित नहीं कर पाने के कारण यह वाद खारिज कर दिया था।
इसके खिलाफ हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर हुई। उसमें केवल याची को नमाज पढ़ने की राहत मिली थी, जिसका फायदा दूसरा कोई नहीं उठा सकता। वह आदेश सामान्य मुसलमानों के लिए नहीं है। इसलिए वक्फ संपत्ति हिंदुओं के विरुद्ध नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि याची पक्ष सुप्रीम कोर्ट के जिन पांच जजों की पीठ के फैसले पर भरोसा कर रहा है, जबकि राम जन्म भूमि वाले मामले में सात जजों की पीठ का फैसला ज्यादा महत्वपूर्ण है। ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में वह अधिक प्रभावी है। मंदिर पक्ष की ओर से तर्क दिए जाने के बाद मामले में वक्फ बोर्ड की ओर से भी पेश हुए अधिवक्ता एसएएफ नकवी ने अपना पक्ष रखना चाहा, लेकिन समय की कमी को देखते हुए कोर्ट ने उनकी बहस को नहीं सुना और 20 मई की तिथि तय कर दी।
कोर्ट ने कहा कि मामले में आगे की सुनवाई पर वक्फ बोर्ड के पक्ष को पहले सुना जाएगा। इसके बाद मंदिर पक्ष की बाकी बहस को पूरा सुना जाएगा।