नई दिल्ली . रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में शतरंजी चाल के दूसरे चरण को आगे बढ़ा दिया है। रूस की सुरक्षा परिषद की बैठक में हिस्सा लेने के बाद उन्होंने दो संकेत दिए हैं। पहला तो यह कि रूस का यूक्रेन पर कब्जा करने, शासन करने का कोई इरादा नहीं है। दूसरा, वह यूक्रेन के राष्ट्रपति जोलेंस्की को पद से हटाने की शर्त रख चुके हैं। राष्ट्रपति पुतिन की योजना को आगे बढ़ाने के लिए यूक्रेन की राजधानी कीव से हरी झंडी मिलने का इंतजार हो रहा है। समझा जा रहा है कि जल्द ही रूस का एक प्रतिनिधिमंडल यूक्रेन का दौरा कर सकता है।
रूस के आस-पास अमेरिका और नाटो देशों की पैठ रोकना है मकसद
रूस मामले के भारतीय विशेषज्ञों का आकलन है कि रूस के राष्ट्रपति का मकसद करीब-करीब पूरा होने जा रहा है। यूक्रेन के साथ अमेरिका और यूरोप के देश खड़े नहीं हो पाए। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को आखिरी समय में इसके लिए गुहार तक लगानी पड़ी और रूस के हमला कर देने के बाद उनका देश अकेला पड़ गया। पूर्व आईएफएस एसके शर्मा का कहना है कि इस बहाने रूस ने अपने पड़ोस के नाटो सदस्य देशों को भी संदेश दे दिया है। एसके शर्मा का कहना है कि जेलेंस्की एक कॉमेडियन से यूक्रेन के राष्ट्रपति बने। सही अर्थों में देखा जाए तो सूझ-बूझ की कमी के चलते उन्होंने पूरे यूक्रेन संकट को कामेडी शो का रूप दे दिया। अब वह रूस के साथ हर स्तर पर वार्ता के लिए गुहार लगा रहे हैं।
एसके शर्मा कहते हैं कि पुतिन की मंशा भी यही थी। वह रूस के आस-पास के क्षेत्र में नाटो का विस्तार खत्म करना चाहते थे। इसकी चिंता वह कई बार व्यक्त कर चुके थे। समझा जा रहा है कि रूस का प्रतिनिधिमंडल कीव में शांति स्थापना की दिशा में पहल करेगा। इसके लिए दो प्रमुख शर्त रखी जा सकती है। इसमें एक शर्त राष्ट्रपति जेलेंस्की को पद से हटाना और दूसरी शर्त यूक्रेन का पूर्ण निशस्त्रीकरण करने के लिए राजी होना। इसके बदले में यूक्रेन की संप्रभुता, सुरक्षा और उसकी सार्वभौमिकता की गारंटी रूस देगा। समझा जा रहा है कि इसके जरिए पुतिन की कोशिश यूक्रेन के नागरिकों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस की सकारात्मक छवि को मजबूत करना है।
क्या राष्ट्रपति जेलेंस्की छोड़ देंगे यूक्रेन?
यूक्रेन के राष्ट्रपति के बारे में कहा जा रहा है कि वह यूक्रेन को छोड़कर बाहर जा सकते हैं। इस खबर की किसी एजेंसी या स्रोत ने पुष्टि नहीं की है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का अनुमान है कि प्रतिकूल परिस्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति जेलेंस्की यूरोप या किसी अन्य देश में शरण ले सकते हैं। वरसाव से नई दिल्ली लौटे एक अन्य भारतीय अधिकारी का कहना है कि कीव में राष्ट्रपति जेलेंस्की के हाल के निर्णयों को लेकर उनके सहयोगी भी अब खुलकर सामने आना शुरू हो रहे हैं। यूक्रेन के कुछ नेताओं ने रूस के नेताओं से भी संपर्क करने का प्रयास किया है।