पदोन्नति में आरक्षण पर असमंजस में सरकार

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देहरादून। पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ एसएलपी दाखिल करने वाली सरकार को सुप्रीम के आदेश ने असमंजस में डाल दिया है। हकीकत यह है कि सरकार कर्मचारियों के किसी भी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती है। लिहाजा उसने गेंद अब केंद्रीय नेतृत्व के पाले में डाल दी है। सरकार कोर्ट के आदेश के अनुपालन में पदोन्नति में आरक्षण खत्म करती है तो एससी-एसटी कर्मचारी बिफर जाएंगे। आरक्षण बहाल रखती है तो डेढ़ लाख से अधिक जनरल-ओबीसी कर्मचारियों का वर्ग प्रशासनिक कामकाज को ठप करने की तैयारी में लगा हुआ है।
बता दें कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई के बाद बीती सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पदोन्नति में आरक्षण देने या न देने का निर्णय राज्य सरकार को करना है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। जनरल-ओबीसी कर्मचारियों ने इसे बड़ी जीत माना। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार कोर्ट के आदेश के क्रम में पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने का शासनादेश जारी कर देगी। लेकिन कर्मचारियों का भ्रम तब टूट गया, जब आदेश के पांच दिन गुजर जाने के बाद भी सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया। मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात के बाद उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के पदाधिकारियों को आभास हो गया कि सरकार इस फैसले में राजनैतिक नफा-नुकसान तलाश रही है।

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