देहरादून। पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में शुक्रवार को प्रदेश भर में जनरल-ओबीसी वर्ग के करीब सवा लाख कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सात दिन बाद भी बिना आरक्षण पदोन्नति बहाल न होने पर आक्रोश जताते हुए कर्मचारी जिलों में सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
देहरादून में बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने सचिवालय कूच कर ताकत दिखाई। कहा कि कर्मचारियों से जुड़े मुद्दे पर राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोपहर में मुख्य सचिव उत्पल कुमार से हुई वार्ता के बेनतीजा रहने पर कर्मचारी नेताओं ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए 20 फरवरी की महारैली में पूरे प्रदेश से कर्मचारियों को देहरादून पहुंचने का आह्वान कर दिया। सामूहिक कार्य बहिष्कार के चलते सचिवालय समेत तमाम सरकारी विभागों में पूरे दिन कामकाज प्रभावित रहा।
उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के आह्वान पर तमाम विभागों के हजारों कर्मचारी दफ्तर न जाकर परेड ग्राउंड पहुंचे। यहां से कतारबद्ध होकर करीब 12 बजे सचिवालय कूच को निकल पड़े। पुलिस ने उन्हें सुभाष रोड पर ही बैरीकेडिंग कर रोक लिया। आगे बढ़ने को लेकर कर्मचारियों की पुलिस से हल्की धक्का-मुक्की भी हुई। इस पर कर्मचारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए।
एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि सात फरवरी को आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह लागू करे या न करे। प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि इस लड़ाई को हम जितना आसान मान रहे थे, उतनी है नहीं। चूंकि सरकार की ओर से आरक्षण के खिलाफ एसएलपी दायर की गई थी, जिससे लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सरकार उनके पक्ष में निर्णय कर देगी। लेकिन अब सरकार राजनीति कर रही है।