देहरादून। आए दिन आंदोलन के नाम पर सड़कों पर उतरने वाली भीड़ को देखकर लगता है कि उत्तराखंड आंदोलन प्रदेश बनता जा रहा है। दून में आंदोलन का शोर कुछ ज्यादा सुनाई देता है। सरकारी कर्मचारीए राजनैतिक पार्टियां और विभिन्न सामाजिक संगठन किसी न किसी मांग को लेकर आए दिन सड़क नापने निकल पड़ते हैं। अभी सीएए के विरोध व समर्थन का शोर थमा नहीं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर लड़ाई के लिए तैयार हैं। पुरानी पेंशन बहाली के लिए कर्मचारियों ने भी हुंकार भरी हुई है। इससे इतर प्रदेश के विकास की फिक्र किसी को नहीं है। सरकार जहां विपक्ष को घेरने में लगी हैए वहीं विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी में जुटी हैं। प्रदेश के विकास को गति देने वाले कर्मचारियों को अपनी मांगों के सामने सब बौना नजर आता है। प्रदेश में पनप रही इस कार्य संस्कृति के बीच विकास की बात करना बेमानी है।
बाजार में चर्चा गर्म है कि बिल्डरों की कुर्की का काउंटडाउन शुरू हो गया है। अब निवेशकों की खून.पसीने की कमाई दबाकर बैठ जाओगे तो यह दिन आएंगे ही। सहस्रधारा रोड पर सिक्का बिल्डर की आवासीय परियोजना की कुर्की की कार्रवाई से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। इस बिल्डर ने 200 फ्लैट बुक कराने के बाद भी न तो परियोजना पूरी की और न ही निवेशकों के पैसे लौटाए जा रहे हैं। रेरा का फेरा भले ही बिल्डरों पर ढंग से न कस पा रहा होए मगर आरसी काटने का आदेश तो जारी करना ही है। आदेश के आगे का काम तो प्रशासन का है। प्रशासन ने इरादे बता दिए हैं। निवेशकों का हक मारा तो कुर्की करने से कोई नहीं रोक सकता। सिक्का बिल्डर पर शिकंजा क्या कसा कि शहरभर के तमाम बिल्डर सहमे दिख रहे हैं। न जाने कब उनका नंबर आ जाएए जो देर.सवेरे आएगा ही।