नैनीताल। नैनीताल एक बार फिर खतरे की जद में है। यहां की सबसे ऊंची चोटी चायनापीक की पहाड़ी का एक हिस्सा मंगलवार शाम तेज आवाज के साथ दरक गया। इस दैरान पत्घ्थर और पेड़ों के गिरने से निचले इलाकों में दहशत फैल गई और लोग घरों से बाहर आ गए। बलियानाला भूस्खलन और राजभवन के निहालनाला की पहाड़ी के खिसकने के खतरे के बाद चायना पीक की पहाड़ी दरकने से शहर को नया खतरा पैदा हो गया है। सरकार व प्रशासन के लिए भी एक नई चुनौती खड़ी हो गई है।
नैनीताल में मंगलवार रात से तेज बारिश हुई तो बुधवार सुबह से बर्फबारी दोपहर तक बार्फबारी होती रही। ऊंची चोटियों पर आधा फिट तक बर्फ गिरी है। बुधवार शाम करीब साढ़े पांच बजे भूगर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील चायनापीक पहाड़ी का करीब 50 मीटर से अधिक का हिस्सा दरक गया। मलबे के साथ दर्जनों पेड़ों भी धराशायी हो गए। पत्थर व मलबे के साथ पेड़ धराशायी होने की आवाज शेरवानी इलाके से लेकर उत्तराखंड प्रशासन अकादमी, चीनाबाबा चैराहे तक सुनी गई। आवाज इतनी तेज थी कि लोग दहशत के कारण घरों से बाहर आ गए।
होटल विक्रम विंटेज में कार्यरत विजय पंत के अनुसार पहाड़ी दरकने की आवाज सुनकर लोग घरों से बाहर आ गए। पहाड़ी से लगातार कटाव हो रहा है। चायनापीक पहाड़ी की तलहटी में हजारों की आबादी रहती है। इसमें हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीशगण, महाधिवक्ता, केएमवीएन मुख्यालय समेत होटल, सैकड़ों आवासीय मकान हैं। डीएम सविन बंसल ने कहा कि गुरुवार सुबह आपदा प्रबंधन टीम मौके पर जाकर पूरी स्थिति का जायजा लेगी।