अब प्रदूषणकारी इंडस्ट्री ही आएगी रेड कैटेगरी में

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देहरादून। वर्ष 1989 के 30 साल पुराने दून वैली नोटिफिकेशन की विदाई के बाद अब दून में उद्योगों के लिए नई संभावनाएं पैदा हो गई हैं। बेशक यहां अब भी रेड कैटेगरी के उद्योग नहीं लग पाएंगे, मगर उन उद्योगों को राहत मिलेगी, जो पुराने नोटिफिकेशन के चलते ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी के बाद भी रेड में शामिल कर लिए जाते थे। इससे इनके लिए दूनघाटी के दरवाजे नहीं खुल पा रहे थे।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के मुताबिक दून वैली नोटिफिकेशन वर्ष 1989 में बना। तब यह माना जाता था कि जिस भी उद्योग में 500 से अधिक कार्मिक काम करेंगे, वह प्रदूषणकारी उद्योग ही होगा। लिहाजा, इस तरह के किसी भी उद्योग को रेड कैटेगरी में शामिल कर लिया जाता था और दून में ऐसे उद्योग नहीं लगाए जा सकते। इस असर यह पड़ रहा था कि बड़ी आइटी कंपनियों ने दूनघाटी से दूरी बनाए रखी।
हालांकि वर्ष 1989 के नोटिफिकेशन के समाप्त हो जाने के बाद अब देश और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नियम लागू होंगे। दून वैली नोटिफिकेशन में उद्योगों का वर्गीकरण 30 साल पहले की परिस्थितियों के हिसाब से किया गया था, जबकि सीपीसीबी का वर्गीकरण 2016 की परिस्थितियों पर आधारित है। जो कि अधिक वैज्ञानिक है। सीपीसीबी के नियमों के उद्योगों का वर्गीकरण प्रदूषण के स्कोर के साथ तय किया गया है, लिहाजा 500 से अधिक कार्मिकों वाले गैर उत्पादक उद्योग तब रेड कैटेगरी में मान लिए जाते थे, वह अब ऑरेंज और ग्रीन कैटेगरी में आ जाएंगे।

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