देहरादून। स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। डॉक्टर और स्टाफ की ड्यूटी तय करने के साथ ही इसके लिए अलग वार्ड भी तैयार किया गया है। यही नहीं, वार्ड में ड्यूटी करने वाले स्टाफ को इंफ्लुएंजा वैक्सीन भी लगाई गई है।
कुछ दिन पहले ही शहर के एक अस्पताल में बिजनौर निवासी युवक की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई थी। उसे कई और गंभीर बीमारियां भी थी। जिसके बाद मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी ने निजी और सरकारी अस्पतालों को अलर्ट जारी किया था। उन्हें इस बीमारी से निपटने के लिए अलग वार्ड बनाने और दवा आदि का पर्याप्त इंतजाम रखने के निर्देश दिए थे। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि स्वाइन फ्लू का अभी कोई मामला नहीं आया, लेकिन इसे लेकर तैयारियां पूरी हैं। न केवल दवाएं पर्याप्त मात्रा में हैं, बल्कि वार्ड में अन्य सभी इंतजाम भी किए गए हैं।
स्वाइन फ्लू के खतरे के बीच कई डॉक्टर इंफ्लुएंजा वैक्सीन लगवाने को कहते हैं, लेकिन क्या ये वैक्सीन असल में इससे बचाव करती है? इसको लेकर तमाम तरह के मतभेद हैं।
इंफ्लुएंजा वैक्सीन को लेकर चिकित्सकों की अलग अलग राय है। बच्चों और बड़ों में यह वैक्सीन कब लगवाई जाए यह भी तय नहीं है। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. प्रवीण पंवार बताते हैं कि कोई भी इंफ्लुएंजा वायरस के असर को खत्म करने के लिए जो वैक्सीन आती है, उन्हें समय-समय पर अपडेट करने की जरूरत होती है। क्योंकि वायरस का स्ट्रेन बदल जाता है। इसके अलावा एक वैक्सीन एक समय में तीन से चार स्ट्रेन से ही लड़ सकती है। ऐसे में इन वैक्सीन को अपडेट करना बेहद जरूरी होता है। वैक्सीन लगाने के बाद भी इसका असर होने में कम से कम दो हफ्ते का समय लगता है। इस दौरान वायरस से असर होने का खतरा बना ही रहता है।