देहरादून। एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण न देने पर विभिन्न संगठन शुक्रवार को पवेलियन ग्राउंड में खूब गरजे। इसके बाद कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए सचिवालय कूच किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें पुलिस मुख्यालय से पहले ही बेरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। आगे जाने के लिए उनकी पुलिस से धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद कर्मचारी वहीं धरने पर बैठ गए। कर्मचारी नेताओं ने सचिव स्तर के अधिकारी को ज्ञापन देने के बाद ही धरना समाप्त करने की चेतावनी दी। इस पर मुख्यमंत्री के ओएसडी जगदीश खुल्बे वहां पहुंचे। कर्मचारी नेताओं ने उन्हें ज्ञापन देकर कहा कि सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो 15 जनवरी के बाद इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने शुक्रवार को पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर महारैली का आयोजन किया था। इसमें एससी-एसटी कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों समेत करीब 35 संगठन शामिल हुए। सभी ने सरकार पर एससी-एसटी कर्मचारियों के हित की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य स्थापना दिवस नौ नवंबर 2000 से एससी-एसटी रोस्टर को शून्य मानकर पदोन्नति और सीधी भर्ती आरंभ की जाए। महारैली में शामिल होने के लिए प्रदेश के विभिन्न जनपदों से कर्मचारी पहुंचे थे।
उन्हें संबोधित करते हुए फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मदन कुमार शिल्पकार ने कहा कि उत्तराखंड एससी-एसटी बाहुल्य राज्य है। राज्य गठन के समय एसटी कर्मचारियों को यहां भेजा गया। जिससे राज्य में एसटी कर्मचारियों की संख्या निर्धारित प्रतिशत से अधिक हो गई। इसके चलते अब न तो उन्हें पदोन्नति में आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है और न ही सीधी भर्ती का। फेडरेशन के जिलाध्यक्ष करम राम ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा। कानून और कर्मचारी आचार नियमावली के दायरे में रहते हुए सरकार को झुकने पर विवश कर देंगे।
महारैली में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए कर्मचारियों को संबोधित करते हुए फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मदन कुमार शिल्पकार ने कहा कि राज्य एससी-एसटी बाहुल्य क्षेत्र है। राज्य गठन के समय एसटी कर्मचारियों को यहां भेजा गया। जिससे राज्य में एसटी कर्मचारियों की संख्या निर्धारित प्रतिशत से अधिक हो गई। इसके चलते अब न तो उन्हें पदोन्नति में आरक्षण का लाभ मिल पा रहा और न ही सीधी भर्ती का।