नैनीताल। नैनीताल जिले के रामनगर की आईएमपीसीएल फैक्ट्री को निजी हाथों में सौंपने से पहले कानूनी पेंच फंस गया है। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने फैक्ट्री को निजी हाथों में देने का अन्तिम निर्णय लेने से पहले राज्य सरकार व केन्द्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा उठाए बिन्दुओं के साथ उनकी आपत्तियों पर विचार कर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि जब तक इन आपत्तियों का अन्तिम निस्तारण नहीं होगा तब तक इन फैक्ट्री को निजी हाथों में ना सौंपा जाए।
रामनगर निवासी नीरज तिवाड़ी तिवारी ने याचिका दाखिल कर कहा है कि मोहान स्थित आईएमपीसीएल दवा फैक्ट्री में हिमालयन जड़ी बूटी से दवा निर्माण होता है । जिसमें करीब 500 कर्मचारियों, पांच हजार किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से कार्य मिला है। फैक्ट्री में बनने वाली दवा देश भर के सरकारी अस्पतालों में सस्ती दरों पर आम लोगों को उपलब्ध की जा रही है और निजी हाथों में देने पर दवा के रेट बढने व रोजगार का भी संकट खड़ा हो जाएगा। फैक्ट्री सरकार को लगातार मुनाफा दे रही है उसके बाद भी सरकार इसको निजी हाथों में आमादा है। याचिका में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। साथ जो टेंडर सरकार द्वारा निकाला गया है उसको निरस्त करने की मांग की गई है। दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने उक्घ्त आदेश दिए।