देहरादून। वाहनों का धुआं भी वायु प्रदूषण का बड़ा कारक है। दून में वाहनों की रेलमपेल के बीच ऐसे तमाम वाहन मिल जाएंगे, जिनका गाढ़ा धुआं बताता है कि वह मानक से अधिक धुआं उगल रहे हैं। इसमें न सिर्फ सिटी बसें शामिल हैं, बल्कि विक्रम, लोडर, रोडवेज बसें प्रमुख रूप से शामिल हैं।
यह बात और कि धुआं उगलते वाहनों और परिवहन विभाग की कार्रवाई कहीं मेल नहीं खाती है। संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) देहरादून के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से लेकर नवंबर माह तक विभाग को मानक से अधिक धुआं उगलते महज 1594 वाहन ही मिल पाए। कुल वाहनों के हिसाब से इसका आकलन करें तो महज 0.18 फीसद वाहन ही मानक से अधिक वायु प्रदूषण फैलाते मिले।
पिछले साल संभागीय परिवहन कार्यालय देहरादून ने 1946 वाहनों का चालक मानक से अधिक धुआं उगलने पर किया था। इस लिहाज से इस दफा कार्रवाई में और भी गिरावट दिख रहा है।
हालांकि, परिवहन अधिकारी इसके पीछे तर्क दे रहे हैं कि सितंबर से लागू हुए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में जुर्माना काफी बढ़ा दिया गया था और वाहन चालकों में वाहनों के प्रदूषण की जांच की प्रवृत्ति ही नहीं थी। लिहाजा, सितंबर व अक्टूबर माह में वायु प्रदूषण पर बेहद कम कार्रवाई की गई।
संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट के लागू होने से पहले दून में वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या महज 20 थी। इसके बाद अब तक यह संख्या 128 को पार कर गई है। हालांकि, इसके बाद भी अब तक महज 25 फीसद ने ही प्रदूषण संबंधी प्रमाण पत्र बनवाए हैं। दूसरी तरफ मानक से अधिक धुआं छोड़ रहे वाहनों पर भी अधिकारी कार्रवाई से कतरा रहे हैं।