हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। शहीदाने कर्बला हजरत इमाम हुसैन का चैहल्लुम रविवार को है। मोहर्रम की 10 तारीख को इमाम हुसैन अपने 72 जांनिसारों के साथ इस्लाम के लिए प्यासे शहीद हो गये थे। चैहल्लुम पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लालपुर गंगवारी के डा0 मौ0 जावेद ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत हर मुसलमान के लिए एक सीख है कि जब बात ईमान पर आ जाये तो फिर कुछ नहीं देखा जाता। हजरत इमाम हुसैन की शहादत इसकी यादगार है जिन्होनें हक के लिए अपनी शहादत दी मगर जालिमों के आगे सिर नहीं झुकाया। 10 अक्टूबर सन 680 ईस्वी या 10 मोहर्रम 61 हिजरी को कर्बला में इमाम हुसैन ने दीन ए इस्लाम पर अपनी और अपने 72 जांनशीनो की शहादत देकर सच्चाई अच्छाई और इमानदारी के उसूलो को ताकयामत के लिये अमर कर दिया। हजरत इमाम हुसैन ने झूठ और जल्म के खिलाफ अपनी आवाज उठा कर यह सबक दे दिया की सच्चाई और अच्छाई कभी कमजोर नही होती। इसी की याद में चालीस दिन बाद चेहलुम मनाये जाते है और कर्बला के शहीदों के नाम से नजर ओ नियाज कर उनके उसूल पर चलने का अहद किया जाता है। दुनिया का कोई ऐसा इंसान नहीं होगा जिसकी आँखें कर्बला का जिक्र सुन कर नम न हो जायें। इमाम हुसैन की शहादत न सिर्फ मुसलमानों के लिये है बल्कि पूरी दुनिया की इंसानियत के लिये है।