एजेंसी न्यूज
नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि अब हम धीरे-धीरे एक एक्सपोर्ट करने वाली डिफेंस इंडस्ट्री बन रहे हैं और हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट जो वर्तमान में महज 11,000 करोड़ रुपये के क्षेत्र में है। वह 2024 तक बढ़ेगा और लगभग 35,000 करोड़ रुपये सालाना हो जाने की उम्मीद है। इस दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि हम सामूहिक सैन्य क्षमता में विश्वास रखते हैं। जरूरी नहीं कि एक राष्ट्र के पास सारी क्षमता हो। हमें एक-दूसरे से सीखना है।
बता दें कि अभी हाल ही में बिपिन रावत ने डीआरडीओ कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि भारत हथियारों और गोला-बारूद के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और आजादी के 70 साल बाद भी ऐसा कहना कोई गौरव की बात नहीं है। हालांकि, उस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ सालों में यह स्थिति बदली है। डीआरडीओ सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयासरत है।
उन्होंने उस दौरान सशस्त्र बलों में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से शामिल करने की वकालत भी की।…और कहा भारत अगला युद्ध देश में ही विकसित हथियार प्रणालियों और उपकरणों के साथ लड़ेगा और जीतेगा भी।
दो दिवसीय 41वें डीआरडीओ सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने कहा था कि भविष्य के युद्धों पर ध्यान देना जरूरी, क्योंकि ऐसा नहीं कि आगे के युद्ध आमने-सामने लड़े जाने वाले हो। हमें साइबर क्षेत्र, अंतरिक्ष, लेजर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और रोबोटिक्स के विकास के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमता (एआइ) की ओर भी देखना होगा।