‘नया साल ईसाईयों का कार्यक्रम, जश्न मनाना है हराम

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‘नया साल ईसाईयों का कार्यक्रम, जश्न मनाना है हराम’, फतवा जारी कर और क्या बोले मौलाना शहाबुद्दीन रजवी?
नए साल के जश्न को लेकर लोग तरह-तरह के आयोजन करते हैं। एक-दूसरे को बधाई भी देते हैं। वहीं, अब इस्लामिक धार्मिक गुरू ने नए साल के जश्न को लेकर फतवा जारी किया है।
दिसंबर खत्म होने को है और नए साल का जश्न शुरू होने वाला है। नए साल के जश्न को लेकर फतवा भी जारी कर दिया गया है। बरेलवी मसलक के चश्म-ए-दारुल इफ्ता ने नए साल का जश्न मनाने और मुबारकबाद देने को गैर इस्लामी करार दिया है। उन्होंने फतवा जारी करके मुसलमानों को इससे दूर रहने की हिदायत दी है।
दारुल इफ्ता के मुख्य मुफ्ती और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने रविवार को जारी फतवे में कहा कि नए साल का जश्न मनाना, मुबारकबाद देना और इस अवसर पर पार्टियां आयोजित करना इस्लामी नजरिए से नाजायज है। फतवे में कहा गया कि जनवरी से शुरू होने वाला नया साल ईसाईयों का नया साल है। यह विशुद्ध रूप से ईसाईयों का धार्मिक कार्यक्रम है। इसलिए मुसलमानों का नए साल का जश्न मनाना जायज नहीं है। इसमें कहा गया है कि इस्लाम इस तरह के कार्यक्रमों को सख्ती के साथ रोकता है। फतवे में मुसलमानों से कहा गया कि दूसरे मजहबों को मानने वालों के धार्मिक त्यौहारों में शामिल होने या उन्हें खुद आयोजित करने से बचें। ऐसा करने से दूसरे मुस्लिम साथियों को भी रोंके।
मालूम हो कि इस्लामिक फतवा एक धार्मिक राय या निर्णय है, जो इस्लामी कानून के अनुसार दिया जाता है। यह एक इस्लामी विद्वान या मुफ्ती द्वारा दिया जाता है, जो इस्लामी कानून के जानकार होते हैं। फतवा किसी धार्मिक मसले पर पूछे गये सवाल पर मुफ्ती द्वारा जारी जवाब का दस्तावेज होता है। हालांकि, फतवे को मानना वांछनीय होता है लेकिन बाध्यकारी नहीं है।