केंद्रीय मंत्री बनने के बाद शिवराज ने इंडिया टीवी को दिया पहला इंटरव्यू, पीएम मोदी को लेकर कही ये बात

31
Share

केंद्रीय मंत्री बनने के बाद शिवराज ने इंडिया टीवी को दिया पहला इंटरव्यू, पीएम मोदी को लेकर कही ये बात
केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान का इंडिया टीवी ने पहला इंटरव्यू लिया। इस दौरान कृषि क्षेत्र के विकास को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने कई बातें की, साथ ही प्राकृतिक खेती को लेकर भी उन्होंने बयान दिया है।
केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने इंडिया टीवी को पहला इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में शिवराज सिंह चौहान से किसानी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को लेकर तमाम तरह के सवाल किए गए, जिसके जवाब में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी का उद्देश्य है कि विकसित भारत का निर्माण हो। विकसित भारत के लिए पीएम मोदी जी जान से जुटे हुए हैं। आज सोलर एनर्जी पर बहुत जोर है जो अन्नदाता को उर्जादाता बनाना चाहते हैं। आज देश में प्रधानमंत्री द्वारा पीएम कुसुम योजना चलाई जा रही है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज किसान उर्जा ग्रिड में देकर पैसे कमा सकते हैं। पीएम मोदी की तरफ से बिजली माफ करने की बात नहीं की गई है। आज किसान खुद बिजली बना सकते हैं और उन्हें बेच सकते हैं। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पीएम मोदी धरती को बचाने में जुटे हैं। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती बचाना चाहते हैं। इस इंटरव्यू में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम 7.5 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती शुरू करने जा रहे हैं। किसान में लगी बहनों को लेकर उन्होंने कहा कि आज बहनें भी किसानी में सबसे बड़ी ताकत हैं।
उन्होंने कहा कि कृषि सखी, ड्रोन दीदी से किसानी में जुटी बहनों को बड़ी मदद मिल रही है। कृषि सखी बनकर बनें लोगों को सिखाएंगी। किसानों के रोडमैप को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है, 4 ही जातियां हैं, किसान, गरीब, महिलाएं और नौजवान। किसानों के लिए जो करना है वह है उत्पादन बढ़ाना और लागत घटाना। उत्पादन का ठीक दाम देना है, नुकसान हो जाए तो भरपाई करना। प्राकृतिक खेती को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री की तड़प देखी है। धरती बचाने की तड़प सामान्य नहीं है। यह असामान्य है। प्रधानमंत्री बेचैन हो जाते है। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती के निर्देश दिए, जोकि जबरदस्ती नहीं थे।