संसद परिसर में सभी मूर्तियों को प्रेरणा स्थल शिफ्ट करने पर विपक्ष का विरोध जायज है?’

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देश में नई सरकार बनने के बाद से संसद भवन परिसर में मूर्तियों का स्थान बदलने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। संसद भवन परिसर में पहले लगभग 50 महापुरुषों की मूर्तियां अलग-अलग स्थानों पर रखी हुई थीं। अब इन सभी मूर्तियों को एक स्थान पर रख दिया गया है और इस जगह को प्रेरणा स्थल नाम दिया गया है। विपक्षी नेता इसे गलत करार दे रहे हैं। उनका मानना है कि हर जगह पर हर महापुरुष की मूर्ति सोच-समझकर विशेष कारण के चलते रखी गई थी। वहीं, सरकार में शामिल नेताओं का कहना है कि प्रेरणा स्थल बनने से सभी पूर्व नेताओं को सम्मान मिला है। यह प्रशासन की अच्छी पहल है। इसे लेकर हमने पोल चलाया। इंडिया टीवी के इस पोल में लोगों ने अपनी राय रखी, जिसके आंकड़े इस प्रकार हैं।

इंडिया टीवी के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर हमने जनता से पूछा था, “क्या संसद परिसर में सभी मूर्तियों को प्रेरणा स्थल शिफ्ट करने पर विपक्ष का विरोध जायज है?” और हमने ‘हां’, ‘नहीं’ और ‘कह नहीं सकते’ के विकल्प दिए थे। पोल पर कुल 12,417 लोगों ने अपना जवाब दर्ज कराया, जिसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 81 फीसदी लोगों ने ‘नहीं’ में जवाब दिया, जबकि 15 फीसदी ने ‘हां’ ऑप्शन को चुना। इसके अलावा 4 फीसदी लोगों का जवाब ‘कह नहीं सकते’ में है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में ‘प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन करने के बाद कहा, “प्रेरणा स्थल पर आकर प्रेरणा मिली है। ये ऐसा स्थान है जो हर भारतीय के लिए तीर्थ स्थल से कम नहीं होगा।” 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, “आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रेरणा स्थल का लोकार्पण किया है। मुझे लगता है कि प्रेरणा स्थल आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।”

क्या है मामला?
संसद भवन में देश के कई बड़े महापुरुषों की मूर्तियां लगी हुई हैं। ऐसी मू्र्तियों की संख्या 50 के करीब है। ये मूर्तियां अलग-अलग स्थानों पर थीं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अनुसार हर मूर्ति को जिस स्थान पर रखा गया था, उसका अपना महत्व था और काफी सोचने समझने के बाद मूर्तियों को स्थापित किया गया था। संसद भवन में मूर्तियों की स्थापना के लिए एक समिति होती थी, जिसका गठन 2019 से नहीं किया गया है। अब सरकार ने सभी मूर्तियों को एक स्थान पर लाकर प्रेरणा स्थल बना दिया है। इसे लेकर विपक्षी दल आपत्ति जता रहे हैं।

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