क्या कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के 17 लोकसभा सीटों के ऑफर को स्वीकार करना मजबूरी थी?

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क्या कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के 17 लोकसभा सीटों के ऑफर को स्वीकार करना मजबूरी थी?
देश में कुछ ही महीनों के बाद लोकसभा चुनाव होने हैं। वहीं इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर खींचतान जारी है। इस बीच अखिलेश यादव ने यूपी में कांग्रेस को 17 सीटें देने की बात कही। ऐसे में क्या कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के 17 लोकसभा सीटों के ऑफर को स्वीकार करना मजबूरी थी, इसे लेकर INDI
लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय शेष नहीं है। वहीं विपक्ष के इंडिया गठबंधन में अभी भी सीटों के बंटवारे पर पेंच फंसा हुआ है। इस बीच दिल्ली की सियासत का रास्ता कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में बड़ा सियासी बदलाव देखने को मिला। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा ऐलान करते हुए यूपी में कांग्रेस को 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया। वहीं कांग्रेस भी काफी देर तक चली बातचीत के बाद 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात स्वीकार कर ली। ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के 17 लोकसभा सीटों के ऑफर को स्वीकार करना मजबूरी थी? इसी को लेकर INDIA TV ने अपने पोल के जरिए जनता की नब्ज टटोली, जिस पर चौंकाने वाले जवाब मिले।हमने अपने पोल में जनता से यह पूछा था कि ‘क्या कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के 17 लोकसभा सीटों के ऑफर को स्वीकार करना मजबूरी थी?’ इसके लिए हमने जनता के सामने ‘हां’, ‘नहीं’ और ‘कह नहीं सकते’ तीन ऑप्शन दिए थे। इस पोल में जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हमें कुल 10423 लोगों की राय जानने का मौका मिला। इस पोल में ज्यादातर लोगों का कहना था कि राहुल गांधी के लिए 17 सीटों के प्रस्ताव को स्वीकार करना उनकी मजबूरी ही है। वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो इस मतदान में कुल 10423 लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें से ज्यादातर, यानी 88 फीसदी लोगों का मानना था कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के 17 सीटों वाले प्रस्ताव को स्वीकार करना राहुल गांधी की मजबूरी थी। वहीं 9 फीसदी लोगों का मानना था कि इसे राहुल गांधी की मजबूरी नहीं कह सकते हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि इंडिया गठबंधन के लिए दोनों दलों का एक साथ आना ज्यादा अहम है। इसके अलावा 3 फीसदी लोगों ने ‘कह नहीं सकते हैं’ का ऑप्शन चुना। इन 3 फीसदी लोगों ने ‘अखिलेश यादव के यूपी में 17 सीटों वाले ऑफर’ के मामले में हां या ना में से किसी तरफ जाना पसंद नहीं किया।

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