लाक्षागृह या कब्रिस्तान? फैसले का इंतजार, 53 वर्षों से चल रहा वाद

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बागपत । बागपत जनपद के बरनावा में लाक्षागृह या कब्रिस्तान, इसको लेकर फैसले का इंतजार बढ़ गया है। वहां प्राचीन टीले को लेकर 53 साल से चल रहे वाद में मंगलवार को फैसला नहीं आ सका। अब सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख लगी है। उस दिन सभी पक्षकारों को न्यायालय में मौजूद रहना होगा। उम्मीद है कि इस दिन इस पर फैसला सुनाया जा सकता है।
मुकीम खान ने दायर किया था वाद
बरनावा के रहने वाले मुकीम खान ने वर्ष 1970 में मेरठ की अदालत में वाद दायर किया था। जिसमें उन्होंने लाक्षागृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाया गया था। इसमें मुकीम खान और कृष्णदत्त महाराज दोनों का निधन हो चुका है और दोनों पक्ष से अन्य लोग पैरवी कर रहे हैं।
अब फैसले का इंतजार
अब यह मामला बागपत में सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम की कोर्ट में चल रहा है। जिसमें एक पक्ष से अय्यूब, मुन्ना समेत अन्य और दूसरे पक्ष से गांधी धाम समिति के प्रबंधक राजपाल त्यागी वकीलों के माध्यम से कोर्ट में अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत कर चुके हैं। जिससे केस अब फैसले पर चल रहा है। इसमें मंगलवार की तारीख लगी थी, लेकिन अब इसमें 22 सितंबर को सुनवाई की तारीख लग गई है।
यह किया हुआ है दावा
इसमें मुकीम खान की तरफ से वाद दायर करते हुए दावा किया गया था कि बरनावा में प्राचीन टीले पर शेख बदरूद्दीन की दरगाह और कब्रिस्तान है। वह सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में दर्ज होने के साथ ही रजिस्टर्ड है। इस पक्ष के वकील शाहिद अली का कहना है कि उनकी तरफ से सभी साक्ष्य कोर्ट में दिए हुए है।
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