ज्ञानवापी सर्वे केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस करेंगे सुनवाई

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ज्ञानवापी सर्वे केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस करेंगे सुनवाई, मुस्लिम पक्ष के वकील ने दी जानकारी
ज्ञानवापी मामले की सुनवाई अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस करेंगे। इसकी जानकारी मुस्लिम पक्ष के वकील ने दी है।
इलाहाबाद: ज्ञानवापी सर्वे केस में नया अपडेट आया है। मुस्लिम पक्ष के वकील पुनीत गुप्ता ने पीटीआई को बताय कि ज्ञानवापी का मामला गंभीर है और इसकी गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने फैसला किया है कि वे खुद इस मामले की सुनवाई करेंगे। इससे पहले आज ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच के जज ने इस बड़ी बेंच में भेजे जाने की बात कही थी।पुनीत गुप्ता ने बताया कि कल सुबह 9.30 बजे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इस मामले की सुनवाई करेंगे।
इससे पहले 2021 के ज्ञानवापी से जुड़े पुराने लंबित मामले की आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से अपना पक्ष रखा गया। इसके बाद अदालत ने इस मामले की सुनवाई बड़ी बेंच में कराने का फैसला किया। यह कहा गया कि बेंच का गठन कल यानी बुधवार को किया जाएगा।
ज्ञानवापी परिसर के एएसआई द्वारा सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने याचिका दाखिल की है। इस याचिका में 21 जुलाई के वाराणसी की जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी है। जिला अदालत ने एएसआई को मस्जिद परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया था। मस्जिद कमेटी की ओर से अदालत में इस मामले में जल्द सुनवाई करने का यह कहते हुए आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट का 24 जुलाई का आदेश बुधवार (26 जुलाई) शाम पांच बजे तक ही प्रभावी है। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने के लिए कुछ मोहलत दी थी। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील ने विभिन्न आधार पर 21 जुलाई का आदेश रद्द करने का अदालत से अनुरोध किया। उनकी दलील थी कि जिला अदालत ने जल्दबाजी में एएसआई को सर्वेक्षण करने का आदेश दिया और चार अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा। निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को इस आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया। इस मामले में वादी ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थल पर काशी विश्वनाथ मंदिर बहाल करने की मांग करते हुए वाराणसी की अदालत में याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि संपूर्ण मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से यह साबित करने में मदद मिलेगी कि मस्जिद स्थल पर मंदिर था। वादी के वकील ने यह दलील भी दी थी कि इस सर्वेक्षण से अदालत को मंदिर के अस्तित्व के संबंध में संग्रह की गई सामग्री और एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने में भी मदद मिलेगी। (इनपुट-भाषा)

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