मणिपुर में सीएम के दौरे से पहले भीड़ ने कार्यक्रम स्थल को लगाई आग

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एजेंसी समाचार
मणिपुर : मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के दौरे से एक दिन पहले भीड़ ने कार्यक्रम स्थल पर आग लगा दी थी। घटना के बाद, जिले में इंटरनेट पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही धारा 144 लागू कर दी गई है। पुलिस ने बताया कि गुरुवार रात करीब 9 बजे अनियंत्रित भीड़ ने इस घटना को अंजाम दिया गया। यहां मुख्यमंत्री शुक्रवार को जिम सह खेल सुविधा का उद्घाटन करने वाले थे। घटना के बाद, इंटरनेट पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है और चुराचांदपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में आक्रोशित भीड़ को आयोजन स्थल के अंदर कुर्सियों और अन्य संपत्तियों को तोड़ते देखा जा सकता है। तोड़फोड़ के बाद आक्रोशित भीड़ ने नवनिर्मित जिम के खेल उपकरणों में भी आग लगा दी। घटना की जानकारी के बाद, स्थानीय पुलिस तुरंत कार्रवाई में जुट गई और भीड़ को तितर-बितर कर दिया, लेकिन सैकड़ों जलती हुई कुर्सियों से कार्यक्रम स्थल को पहले ही नुकसान हो चुका था। जैसे ही स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई, चुराचंदपुर प्रशासन ने जिले में सुरक्षा बढ़ा दी, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। पुलिस ने बताया कि उत्तेजित भीड़ ने न्यू लमका में पीटी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में नए सेट-अप ओपन जिम को आंशिक रूप से आग के हवाले कर दिया, जिसका उद्घाटन बीरेन सिंह करने वाले थे। जिला प्रशासन ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि हिंसा के कारण मुख्यमंत्री का कार्यक्रम रद्द किया गया है या नहीं। कथित तौर पर भीड़ की हिंसा का नेतृत्व स्वदेशी जनजातीय नेताओं के मंच ने किया था, जो आर्द्रभूमि के अलावा आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों के भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के सर्वेक्षण पर आपत्ति जताता रहा है। जनजातीय मंच ने राज्य सरकार पर गिरजाघरों को गिराने का आरोप लगाया। मंच ने एक बयान में कहा कि वह सरकार के खिलाफ असहयोग अभियान चलाने के लिए मजबूर हो गया है और इस तरह उसके कार्यक्रमों में बाधा डाल रहा है और शुक्रवार को सुबह 8 बजे से जिले में आठ घंटे की हड़ताल का भी आह्वान किया है। राज्य के आदिवासियों के प्रति सौतेला व्यवहार करने के आरोपों के साथ कुकी छात्र संगठन ने भी मंच का समर्थन किया है। बता दें कि मणिपुर सरकार ने इस महीने की शुरूआत में कथित तौर पर राज्य में तीन चर्चों को यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया था कि ये अवैध रूप से बनाए गए थे।

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