मुरादाबाद। भगवान मंगलमय हैं। जैसे बादल से सूर्य ढका रहता है और राख से आग ढकी रहती है। वैसे ही लोगों के अविश्वास से मंगलमय भगवान ढके हुए हैं। वास्तव में उनका मंगलमय स्वरूप नित्य और सर्वत्र है। गौर ग्रेसियस सांस्कृतिक समिति हरिद्वार रोड की तरफ से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास धीरशांत दास अर्द्धमौनी ने ये प्रवचन दिए। बताया कि भगवान कृष्ण ही राम हैं और राम ही घनश्याम हैं। जिस प्रकार से दृष्टि हीन व्यक्ति के लिए दर्पण कुछ नहीं कर सकता, उसी प्रकार विवेकहीन व्यक्ति के लिए शास्त्र भी कुछ नहीं कर सकता है। शुभ एवं श्रेष्ठ कार्य केवल विचारों तक ही सिमट कर नहीं रहना चाहिए। अच्छे कार्य करने से ही व्यक्ति महान बनता है। जिस दिन शुभ विचार सृजन का रूप ले लेता है। उस दिन से परमात्मा श्रीकृष्ण भी प्रसन्न होकर आपके ऊपर आशीष की वर्षा करते हैं। हमने दुनिया से बहुत लिया। अब देने की बारी है। मत भूलो कि यह जीवन अस्थायी है। इसलिए जीवन के प्रत्येक क्षण का सम्मान करो। मृत्यु आ जाएगी तो कुछ भी नहीं रहेगा। हर चीज यही समाप्त हो जाएगी। अगर यहां कुछ रहेगा तो अपने श्रेष्ठ कर्म रहेंगे। कथा में विवेक शर्मा, मुकुल शर्मा, आलोक गर्ग, रश्मि गोयल, विवेक गोयल, ममता अग्रवाल, संजीव अग्रवाल, रुचि पचौरी, गिरीश पचौरी, संध्या सेठ, कैलाश भट्ट, रेखा यादव, राजीव यादव, पिंकी राय, सुनीता वर्मा, जटा शंकर सिंह, पूनम वर्मा, सविता वर्मा, सीमा शर्मा, श्रेष्ठा शर्मा, सारिका दीक्षित, मंजुला सक्सेना, सुगंधा शर्मा, सतीश दत्त, प्रेमशंकर शर्मा, मदन वर्मा, करन वर्मा, ओमप्रकाश शर्मा आदि मौजूद थे।