कारगिल में भूकंप से कांप गई धरती, जमीन से 10 किमी नीचे थी गहराई
वहीं इससे पहले लेह के अलची से करीब 189 किमी उत्तर में सुबह करीब 4.19 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता 4.8 आंकी गई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी।
भूकंप की तीव्रता 4.3 मापी गईकिसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहींजम्मू कश्मीर में 2005 में आया था भीषण भूकंप
दुनिया के सबसे उंचे युद्ध स्थल कारगिल में भूकंप से धरती कांप गई। यहां भूकंप सुबह साढ़े 9 बजे आया। बताया जा रहा है कि रियेक्टर पर भूकंप की तीव्रता 4.3 मापी गई। मीडिया में आई खबर के अनुसार, भूकंप का प्रभाव लद्दाख के 64 किमी WNW में महसूस किया गया। भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी।
लेह में भी आया था भूकंप
इससे पहले लेह के अलची से करीब 189 किमी उत्तर में सुबह करीब 4.19 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता 4.8 आंकी गई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी। भूकंप के कारण अभी किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं आई है। कुछ दिन पहले भी अल्ची में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। तब भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.2 मापी गई थी। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने भूकंप का केंद्र अलची से 89 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में बताया था। बताया जाता है कि पिछले दिनों यहां जो भूकंप आया था उस समय लोग सुबह अपने अपने कामों में व्यस्त थे। उसी समय धरती हिली और भूकंप के कारण दरवाजे आथ्र खिड़कियां हिलने पर लोग डरकर घरों से बाहर निकल आए थे।
लगातार भूकंप के झटके किसी बड़ी तबाही के संकेत!
कुछ स्थानीय पृथ्वी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि ये छोटे.छोटे झटके आने वाली किसी बड़ी भूकंपीय घटना का संकेत हो सकते हैं। जम्मू कश्मीर में हाल के समय में छोटे.छोटे भूकंप लगातार आ रहे हैं। कहीं ये छोटे भूकंप किसी बड़े खतरे के संकेत तो नहीं र्हैं। ऐसे में इन्हें हल्के में लिया जाना एक बड़ी गलती साबित हो सकती है। जानकारों का ऐसा मानना है कि इन हल्के भूकंपों को बड़ी चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए और बड़ा भूकंप आने पर नुकसान से बचने के लिए पहले से ही उसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
जान माल के नुकसान न हो, इसलिए पहले से करें तैयारी
ऐसा कहा जाता है कि भूकंप के छोटे झटके किसी बड़े भूकंप के आने से पहले चेतावनी देते हैं। ऐसे में जानमाल के कम से कम नुकसान के लिए पहले से तैयारी शुरू कर देना ही समझदारी है। एक मीडिया रिपोर्ट में नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के पूर्व प्रमुख एके शुक्ला के हवाले से लिखा गया है कि ऐसी कोई मशीन नहीं बनी है, जिससे भूकंप की भविष्यवाणी हो सके। लेकिन जो छोटे भूकंप होते हैं। वह बड़े भूकंप की चेतावनी के तौर पर देखे जाने चाहिए।
जम्मू कश्मीर में 2005 में आया था भीषण भूकंप
जम्मू कश्मीर बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में आता है। यहां 8 अक्टूबर 2005 में बेहद भीषण भूकंप आया था। जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.6 मापी गई थी। इस भूकंप के कारण एलओसी यानी नियंत्रण रेखा से सटे पाकिस्तान और भारत दोनों के ही इलाकों में 80 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। वहीं अगर जम्मू कश्मीर की बात करें, तो यह भूकंप के खतरनाक जोन में पड़ता है।