NEET दाखिले में EWS आरक्षण विवाद क्या है?

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आर्थिक रूप से कमज़ोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग को परिभाषित करने के केंद्र सरकार के तरीक़े पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़ा किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए ‘आठ लाख रुपए की सालाना आय’ को आधार क्यों और कैसे बनाया गया है?
इसके बाद से ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर सुर्ख़ियों में आ गया है.पूरा मामला नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (नीट) में दाखिले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से जुलाई में जारी अधिसूचना से जुड़ा है.क्या है पूरा मामला?
भारत के सभी राज्यों के मेडिकल संस्थानों में साल 1986 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ‘ऑल इंडिया कोटा’ (AIQ) लागू किया गया.
ये ऑल इंडिया कोटा राज्य के अधीन आने वाले मेडिकल कॉलेज में सीटों का वो हिस्सा है, जो राज्य के कॉलेज, केंद्र सरकार को देते हैं.
2007 तक इसमें आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं था. फिर सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि सभी राज्य अपने मेडिकल कॉलेज की 15 फ़ीसदी अंडर ग्रैजुएट सीटें और 50 फ़ीसदी पोस्ट ग्रैजुएट सीटें केंद्र सरकार को देंगी.

इसमें पहले एससी और एसटी का आरक्षण लागू किया गया. उसके बाद से ही इसमें ओबीसी आरक्षण को लेकर मुहिम शुरू हुई. 2021 में केंद्र सरकार ने इस माँग को स्वीकार किया और 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण भी जोड़ दिया.

केंद्र सरकार के मुताबिक़ ईडब्ल्यूएस के तहत आरक्षण का लाभ वही छात्र उठा सकते हैं, जिनके परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से कम है.

केंद्र सरकार का तर्क है कि नीट में आरक्षण के फ़ैसले से एमबीबीएस में लगभग 1,500 और पोस्ट ग्रैजुएट में 2,500 ओबीसी छात्रों को हर साल इसका लाभ मिलेगा. वहीं ईडब्ल्यूएस वर्ग के लगभग 550 छात्रों को एमबीबीएस में जबकि 1,000 छात्रों को पोस्ट ग्रैजुएट की पढ़ाई में लाभ होगा.

लेकिन फ़ैसले के तुरंत बाद नीट पोस्ट ग्रैजुएट एग्ज़ाम में बैठने की तैयारी करने वाले तकरीबन 45 छात्र, दो समूहों में सुप्रीम कोर्ट पहुँचे और सरकार के इस फ़ैसले को पीजी एग्ज़ाम में इस साल लागू करने से रोकने की माँग की.
इनमें से एक गुट के याचिकाकर्ता छात्रों की वकील तन्वी दुबे के मुताबिक़ कई आधार हैं, जिन पर केंद्र के फ़ैसले को चुनौती दी गई है.
वो कहती हैं, “ईडब्ल्यूएस और ओबीसी वर्ग के ताज़ा आरक्षण के बाद कुल आरक्षण 50 फ़ीसदी से ज़्यादा हो जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट के पुराने फ़ैसले के ख़िलाफ़ है. ईडब्ल्यूएस की पात्रता किस आधार पर निर्धारित की गई है, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है. पोस्ट ग्रैजुएशन में कितनी सीटें बढ़ाई गई हैं, इसके बारे में छात्रों के साथ जानकारी साझा नहीं की गई है. साथ ही ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर किए गए संविधान संशोधन पर भी सुनवाई संवैधानिक पीठ में पहले से चल रही है.”

अब कोर्ट में सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई चल रही है.

छात्रों की याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान (7 अक्तूबर) को भी कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस के पैमाने को लेकर सवाल उठाए थे. लेकिन समय रहते केंद्र सरकार की तरफ़ से जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए कहा है.

इस साल मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए नीट परीक्षा हो चुकी है और परिणाम की घोषणा हो गई है लेकिन पोस्ट ग्रैजुएट काउंसलिंग की तारीख़ की घोषणा नहीं हुई है, क्योंकि मामला कोर्ट में है.

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