नैनीताल में लोअर माल रोड पर करीब 20 मीटर हिस्से में धंसाव

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नैनीताल। देश के खूबसूरत पर्यटन स्घ्थलों में शुमार नैनीताल आपदा के मुहाने पर खड़ा है। हर दिन इसके कुछ न कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जो बेहद डरावने हैं। जहां पिछले साल नैनीताल की लोवर माल रोड का बड़ा हिस्घ्सा नैनी झील में धंस गया था वहीं बलियानाला की पहाड़ियों का दरकना निरंतर जारी है। वहीं इस वर्ष फिर क्रिसमस से थर्टी फर्स्घ्ट पर बढ़े वाहनों के दबाव से लोअर माल रोड पर करीब 20 मीटर हिस्से में धंसाव के साथ ही दरार पड़ गई है। जिसको लेकर शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। शुक्रवार को पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता की मौजूदगी में श्रमिकों में माल रोड पर पड़े दरार को भरा। दिनों दिन बढ़ता शहर पर बोझ और अंधाधुंध हुए निर्माण ने हालात को जटिल बना दिया है। आइए जानते हैं कि ऐसी कौन सी स्थितियां बनी जो आज नैनीताल को अपदा के इस मुहाने पर लाकर खड़ी कर दी हैं।
दरअसल 18 अगस्त 2018 को ग्रांड होटल के समीप लोअर माल रोड का करीब 25 मीटर हिस्सा झील में समा गया था। पाइप गाडने व जियो बैग की चिनाई से 33 दिन बाद यातायात शुरू हुआ था। तब राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री, शासन-प्रशासन के अधिकारियों ने माल रोड का निरीक्षण किया। करीब 23 लाख में क्षतिग्रस्त हिस्से का ट्रीटमेंट किया गया। लोनिवि ने माल रोड के ट्रीटमेंट के लिए करीब 40 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजा था मगर आइआइटी रुड़की, आपदा प्रबंधन विभाग व जीएसआइ के विशेषज्ञों के माल रोड से लेकर ऊपर की पहाड़ी के निरीक्षण के बाद भी बजट नहीं मिला। अब लोअर माल रोड में सूचना विभाग कार्यालय के समीप के करीब 20 मीटर हिस्से में दरार पड़ गई है। सड़क के बीचोबीच पड़ी इस दरार बड़ा खतरा बन सकती है। यहां बता दें कि दो साल पहले विशेषज्ञों की जांच रिपोर्ट में लोअर माल रोड टूटने की वजह झील में गिरने वाले नालों का चोक होना बताया गया था। अब नया खतरा वाहनों के बढ़ते दबाव को माना जा रहा है।
वर्तमान में नैनीताल की बसासत इतनी सघन हो चुकी है कि अब निर्माण की गुंजाइश ही नहीं है। इसके बावजूद बचे खुचे स्घ्थानों पर भी उपर तक पहुंच रखने वाले लोगों ने निर्माण कार्य जारी रखा। मानकों को ताक पर रखकर उन्घ्हें इसकी स्घ्वीकृति भी मिलती रही। लेकिन जब हद हो गई तो उत्घ्तराखंड हाईकोर्ट ने मामले का खुद संज्ञान लेते हुए सरोवर नगरी में निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध ला दिया।

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