देहरादून। उत्तराखंड चार धाम श्राइन प्रबंधन विधेयक के विरोध में सड़क से लेकर सदन में जम कर हंगामा हुआ। सदन में कांग्रेसी विधायकों ने इस मसले पर प्रश्नकाल नहीं चलने दिया। कांग्रेस ने सरकार पर साजिश के तहत बिल पारित करने के प्रयास का आरोप लगाते हुए इसे वापस लेने की मांग की। कांग्रेसी विधायकों ने सदन की पूरे दिन की कार्यवाही के दौरान वेल के सामने नारेबाजी की और धरना दिया। हंगामे के चलते तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। वहीं, तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज ने इसके विरोध में विधानसभा कूच किया और बेरिकेडिंग के सामने धरना दिया।
सोमवार को सदन की कार्रवाई शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कार्यसूची में श्राइन बोर्ड प्रबंधन विधेयक को पेश करने की सूचना पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सदन की परंपरा है कि जो भी विधेयक सदन में लाया जाता है उसे कार्यमंत्रणा की बैठक में रखा जाता है। सरकार बिना सूचना के इसे बैठक में लाकर नियमों को तोड़ रही है। इसके विरोध में पूरा तीर्थ व पंडा समाज आंदोलित है। उप नेता प्रतिपक्ष करण माहरा ने कहा कि इसे वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर लाने की बात कही जा रही है। वहां केवल एक देवी का मंदिर है। यहां सभी देवी देवताओं के अलग-अलग मंदिर है और सबकी पूजा पद्धति अलग है। ऐसे में यह श्राइन बोर्ड कैसे बन सकता है।
केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि सरकार की नीयत ठीक नहीं है। सरकार क्या छिपाना चाहती है। हर जगह की अपनी अलग पंरपराएं हैं। सरकार तीर्थ पुरोहितों और पंडों के हक हकूकों पर कुठाराघात कर रही है। सरकार इस बिल को वापस ले। विरोध के बीच पीठ ने प्रश्नकाल शुरू किया, इस पर कांग्रेसी विधायक वेल पर आ गए और धरने पर बैठ कर श्रीमन नारायण-नारायण भजन गाने लगे। इस पर पीठ ने सदन स्थगित कर दिया। दोबारा कार्रवाई शुरू होते ही कांग्रेस ने फिर इसके विरोध में हंगामा शुरू कर दिया।