जांच में कॉलेज की भूमि तहसील के अभिलेखों में दर्ज ही नहीं

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काशीपुर। ग्राम प्रतापपुर निवासी प्रीतम पुत्र भागीरथ ने उपजिलाधिकारी को चार सितंबर को दिए प्रार्थना-पत्र में कहा था कि वह समाजसेवी है। ढेला पुल के पास प्रगति नर्सिग कॉलेज बना हुआ है। जिसमें 42 कमरे दर्शाए गए हैं, परंतु मौके पर 12 कमरे हैं। कहा कि कॉलेज खसरा नंबर 560 ग्राम सरबरखेड़ा, काशीपुर में स्थित है। जिसका बैनामा भी फर्जी है। बैनामा सब रजिस्ट्रार काशीपुर में 11 सितंबर 2013 को मोहल्ला बाजार भूप सिंह, जसपुर निवासी के नाम पर हुआ। इनके द्वारा धारा-143 जेडएएलआर एक्ट की घोषणा कराते समय कॉलेज की सोसायटी सदस्य को सम्पत्ति का मालिक दिखाया गया जबकि मूल बैनामे में सोसायटी का कोई जिक्र नहीं है। बैनामे की फोटो कॉपी में अलग से टाइप कराकर धोखाधड़ी कर बैनामा कराया गया। 10 जनवरी 2017 का आदेश न्यायालय परगना मजिस्ट्रेटध्सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी काशीपुर के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी आदेश बनाकर खतौनी में प्रविष्टि दर्ज करा ली। आरोप है कि खतौनी में प्रविष्टि भी तहसील कर्मचारियों से मिलकर कॉलेज स्वामी ने फर्जी तरीके से दर्ज करा रखी है। भूमि की 143 भी फर्जी है। सभी दस्तावेज आरटीआइ से प्राप्त हुए हैं। जसपुर रोड के पास का नक्शा बनाया गया है। यह स्थान खसरा नंबर 560 में नहीं आता है। आरोप है कि फर्जीवाड़ा कर कॉलेज चलाया जा रहा है। जहां एक तरफ बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं यह उत्तराखंड सरकार एवं ऑल इंडिया काउंसिल फोर टेक्नीकल एजुकेशन दिल्ली को भी धोखा देकर अनुमति प्राप्त की गई है। शिकायत पर 2017 में एसडीएम काशीपुर रहे दयानंद सरस्वती को पत्र भेजकर दस्तावेजों के बारे में जानकारी मांगी तो उन्होंने भी 143 पर हुए हस्ताक्षर उनके न होने की बात कही थी। तत्कालीन एसडीएम द्वारा हस्ताक्षर फर्जी बताए जाने के बाद प्रभारी एसडीएम सुंदर सिंह ने मामले को गंभीरता से लिया।

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