उत्तराखंड राज्य गठन के बाद 20.77 हजार किमी नई सड़कें हुई स्थापित

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देहरादून। अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड ने अवस्थापना सुविधाओं के लिहाज से तेजी से कदम बढ़ाए हैं। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों की लाइफ लाइन कही जाने वाली सड़कों की बात करें तो बीते 19 वर्षों में प्रदेश में सड़कों की लंबाई 24412 किमी से बढ़कर 45136 किमी हो गई है। पुलों की संख्या 1300 से बढ़कर 3451 हो गई है। इस ढांचागत विकास ने पहाड़ों के दुर्गम सफर की राह आसान की है। हालांकि, प्रदेश में अभी भी कई स्थानों पर कुल 14218 किमी कच्चे मोटर मार्ग हैं, जिन्हें पक्का किया जाना है। इसके अलावा 3580 किमी लंबाई के पैदल मार्ग हैं, जिन्हें पक्का करने के साथ ही मोटर वाहन मार्ग से जोड़ा जाना शेष है।
उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में सड़कों को लाइफ लाइन भी कहा जाता है। यह सड़कें ही हैं जो सुदूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्रों को शहरों से जोड़ते हैं। इन्हीं सड़कों के जरिये इन गांवों में विकास की धारा आगे बढ़ती है। राज्य स्थापना के दौरान सैकड़ों गांव ऐसे थे जो सड़क मार्ग पहुंच से काफी दूर थे। इन 19 वर्षों में प्रदेश में आई सरकारों ने इस ओर खासा ध्यान दिया है। आंकड़ों पर ही नजर डालें तो राज्य गठन के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग, राजमार्ग, मुख्य जिला मार्ग, अन्य जिला मार्ग, ग्रामीण मार्ग व मोटर मार्गों की कुल लंबाई 24412 किमी थी। यह लंबाई वर्ष 2019 तक 45136 किमी पहुंची है। इसका मतलब इस अवधि में 20724 किमी लंबी नई सड़कें बनी हैं। इसमें 18596 किमी पक्की और 2128 किमी कच्ची सड़कें शामिल हैं।
इस अवधि में पैदल मार्गों को मोटर मार्ग से जोड़ने की रफ्तार कुछ सुस्त रही। राज्य गठन के दौरान पैदल मार्गों की लंबाई कुल 3970 किमी थी जो अब 3580 किमी रह गई है। हालांकि, मोटर पुल और पैदल पुलों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। राज्य गठन के दौरान कुल 625 मोटर पुल थे जो अब तीन गुना से अधिक बढ़कर 2191 हो चुके हैं। वहीं पैदल पुलों की संख्या भी 685 से बढ़कर 1260 हो चुकी है। अब प्रदेश में चारधाम ऑल वेदर रोड का भी काम चल रहा है, जिससे प्रदेश में अब आवागमन आसान और सुरक्षित हो जाएगा।

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